समान नागरिक संहिता पर जोर देने वाले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की वर्तमान सरकार में विदेश राज्यमंत्री एम. जे. अकबर ने ही शाह बानो मामले में तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी से परामर्श कर अदालत का फैसला पलटवाया था। पूर्व मुख्य सूचना आयुक्त वजाहत हबीबुल्लाह ने यह खुलासा किया है। 1986 के इस बेहद विवादित मामले में राजीव गांधी की तत्कालीन केंद्र सरकार ने मुस्लिम महिला (तलाक अधिकार संरक्षण) अधिनियम पारित कर मोहम्मद खान बनाम शाह बानो मामले में सर्वोच्च अदालत द्वारा 23 अप्रैैल, 1985 को दिए फैसले को पलट दिया था।
दिल्ली में सत्तारूढ़ आम आदमी पार्टी (आप) को एक और झटका लगा है। पार्टी के ओखला से विधायक अमानतुल्लाह खान के खिलाफ उनके साले की पत्नी ने यौन उत्पीड़न का आरोप लगाते हुए मामला दर्ज कराया है। मामला दर्ज होने के कारण खान को दिल्ली के वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष पद से इस्तीफा देना पड़ा है।
मध्यप्रदेश में भोपाल के मौलाना आजाद नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नॉलाजी में छात्राओं ने शुक्रवार को ड्रेस कोड और हॉस्टल की टााइमिंग को लेकर कॉलेज प्रशासन के खिलाफ हल्ला बोल प्रदर्शन किया। छात्राओं को उनके लिए बनाए गए ड्रेस कोड और हॉस्टल की टाइमिंग से दिक्कत हो रही है।
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश ने आरोप लगाया कि संघ की समान नागरिक संहिता की मांग दरअसल एक आड़ है जिसके पीछे संघ की मंशा महिलाओं के अधिकारों को लेकर हिंदू पर्सनल लॉ और अपनी विचारधारा थोपना है।
पाकिस्तान में मॉडल कंदील बलोच की उसके छोटे भाई वसीम ने हत्या कर दी थी। उसके पिता को अपनी बेटी को नहीं बचा पाने का मलाल है। पिता का कहना है कि उनके बेटे को देखते ही 'गोली मार' देनी चाहिए। वसीम कह चुका है कि उन्होंने अपनी बहन को गला घोंटकर मार डाला।
पाकिस्तानी बोल्ड मॉडल कंदील बलोच की मुल्तान में हत्या करने वाले उसके भाई को गिरफ्तार कर लिया गया है। जानकारी के मुताबिक हत्यारे ने पूछताछ के दौरान अपना जुर्म कबूल कर लिया। उसने कहा कि ऑनर शान के लिए कंदील की गला दबाकर हत्या की है।
यूपी चुनाव को ध्यान में रखते हुए यूनिफॉर्म सिविल कोड लाने की भाजपा की तैयारी पर मुस्लिम समाज बिफर सा गया है। ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने इस प्रस्ताव को पूरी तरह नकार दिया है। उसने आरोप लगाया है कि महज वोटों की राजनीति के लिए भाजपा यह मसले को उछाल रही है।
विकास सहित कई अन्य मसलों पर केंद्र की मोदी सरकार की आलोचना करने वाली शिवसेना ने यूनीफार्म सिविल कोड के प्रस्ताव पर मोदी सरकार को अपना समर्थन दिया है। शिवसेना ने अपने मुखपत्र सामना के संपादकीय के जरिए साफ संदेश दिया है कि यूनिफॉर्म सिविल कोड पर सरकार को आगे बढ़ना चाहिए।
देश को आजाद हुए पैंसठ साल से अधिक का समय हो गया पर भारत में यूनिफॉर्म सिविल कोड पर अभी तक आम राय नहीं बन पाई है। जब इतने समय पर यह नहीं हो पाया तो भाजपा अब क्या सोच समझ कर यूनिफार्म सिविल कोड का ताना-बाना बुनने लगी है। क्या छह माह में इसे लागू करने का दम केंद्र की भाजपा सरकार के पास है या यह महज एक चुनावी चुग्गा है। जो भाजपा ने यूपी चुनाव से पहले जनता की ओर फेंक दिया है।