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Search Result : " आतंकवादी हमला"

डेनमार्क का संदिग्ध आतंकी मारा गया

डेनमार्क का संदिग्ध आतंकी मारा गया

डेनमार्क में हुए आतंकी हमले में मारे गए लोगों को श्रंद्धांजलि देने का सिलसिला जारी है। इस बीच ख़बर आयी है कि पुलिस के साथ हुई मुठभेड़ में संदिग्ध की मौत हो गई है। उसकी पहचान 22 वर्षीय उमर-अल-हुसैन के रूप में की है।
पंसारे को गोली किसने मारी

पंसारे को गोली किसने मारी

महाराष्ट्र के चर्चित कम्यूनिस्ट नेता गोविंद पंसारे पर गोली किसने चलाई। इस बात से अभी पर्दा नहीं उठ पाया है। पंसारे को कोल्हापुर के सागर माल इलाक़े में मोटर साइकिल सवार दो अज्ञात हमलावरों ने गोली मार दी थी।
आइएस आतंकियों ने 21 के सर कलम किये

आइएस आतंकियों ने 21 के सर कलम किये

लीबिया में इस्लामिक स्टेट (आइएस) समूह के आतंकियों ने 21 ईसाईयों का सर कलम कर हत्या कर दी है। इस घटना के बाद मिस्र ने आतंवादियों के ठिकानों पर बमबारी शुरू कर दी है। मारे गये लोगों का ताल्लुक कोप्टिक ईसाई समुदाय से है। कुछ दिन पहले इनको बंधक बना लिया गया था।
लखवी की जमानत के खिलाफ अपील पर सुनवाई स्थगित

लखवी की जमानत के खिलाफ अपील पर सुनवाई स्थगित

पाकिस्तान की एक आतंकवाद निरोधी अदालत ने मुंबई हमलों के आरोपी जकीउर रहमान लखवी को मिली जमानत के खिलाफ सरकार की अपील पर सुनवाई एक महीने के लिए आज तब स्थगित कर दी जब उसके वकील ने दलील के लिए समय मांगा।
ईसाई संस्था पर फिर हमला

ईसाई संस्था पर फिर हमला

दिल्ली में अल्पसंख्यक संस्थाओं पर एक के बाद एक हमले हो रहे हैं। लेकिन केन्द्र सरकार और दिल्ली पुलिस जबानी जमा ख़र्च के अलावा कुछ नहीं कर रही है। पुलिस अब तक हमलावरों का पता लगाने में नाकाम रही है।
जारी है गांधी पर गोडसे का हमला

जारी है गांधी पर गोडसे का हमला

हिंदुत्ववादी ताक़तें लगातार धार्मिक ध्रुवीकरण को तेज़ करने की कोशिश कर रही हैं। कहीं पुल पर गांधी के हत्यारे गोडसे का नाम लिख कर तो कहीं गांधी पर हमला कर ये ताकतें अपना एजेंडा आगे बढ़ा रही़ हैं।
बोको हरम ने 12 को लटकाया फांसी पर

बोको हरम ने 12 को लटकाया फांसी पर

नाइजीरिया के आतंकवादी संगठन बोको हरम ने उत्तरी कैमरून में एक बस से 20 लोगों का अपहरण करने के बाद उनमें से 12 लोगों को फांसी दे दी।
कहाँ गए हमारे कार्टून?

कहाँ गए हमारे कार्टून?

कार्टून पर हमले भलेही यूरोपीय देशों में हो रहे हों, लेकिन अपने देश में वह पहले ही मरणासन्न हालत में है. साढ़े तीन दशक पहले जब हमने पत्रकारिता में कदम रखा था तब लगभग हर अखबार में कार्टून छपा करते थे, उन पर चर्चा हुआ करती थी, नामी कार्टूनिस्ट हुआ करते थे. हिन्दी अखबार, जिनकी अर्थव्यवस्था अपेक्षाकृत कमजोर मानी जाती थी, वहाँ भी दो-दो कार्टूनिस्ट होते थे.
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