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Search Result : " नरेन्द्र सैनी"

मोदी बोले, सरकार की उपलब्धियों का प्रचार करें सांसद

मोदी बोले, सरकार की उपलब्धियों का प्रचार करें सांसद

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भाजपा सांसदों से कहा है कि वह मुद्रा योजना, एलपीजी कवरेज में वृद्धि, गांवों में बिजली व्‍यवस्‍था करने समेत अनेक जनकल्याणकारी योजनाओं का जनता के बीच प्रचार करें।
चर्चा : चुनावी अवश्वमेघ यज्ञ की तमन्ना। आलोक मेहता

चर्चा : चुनावी अवश्वमेघ यज्ञ की तमन्ना। आलोक मेहता

नरेंद्र मोदी चुनावी चुनौतियों को विजय यात्रा के रूप में मानते रहे हैं। उनके आत्मविश्वास और दिन-रात अभियान चलाने की क्षमता का लोहा उनके सहयोगी ही नहीं विरोधी तक मानते हैं। वह 2014 से निरंतर चुनावी सभाओं को संबोधित करते रहे हैं। चुनावी अश्वमेघ यज्ञ के लिए घोड़ा तैयार कर वह अखिल भारतीय स्तर पर एक ही अभियान में एकछत्र राज का प्रयास भी करना चाहते हैं।
बंगाल में कम समय देंगे मोदी और शाह

बंगाल में कम समय देंगे मोदी और शाह

असम से लौटते हुए खड़गपुर में 27 मार्च को जनसभा और फिर 17 अप्रैल को कोलकाता में एक केन्द्रीय सभा। बंगाल की 294 विधानसभा सीटों को सिर्फ दो जनसभाओं के जरिए संबोधित करेंगे भाजपा के स्टार प्रचारक नरेन्द्र मोदी। जबकि, लोकसभा चुनाव के दौरान बंगाल में नरेन्द्र मोदी की सात जनसभाएं कराए गई थीं। इस बार मोदी के शेड्यूल को बंगाल में भाजपा की घटती रुचि का एक और संकेतक माना जा रहा है। कुछ समय पहले नरेन्द्र मोदी और अमित शाह की दर्जन भर जनसभाएं कराने की तैयारी चल रही थी।
हरियाणा को फिर सुलगाने की तैयारी

हरियाणा को फिर सुलगाने की तैयारी

हरियाणा सरकार द्वारा गुरुवार तक मांगें नहीं माने जाने की सूरत में जाट नेताओं की ओर से आंदोलन फिर से शुरू करने की धमकी दिए जाने के बाद हरियाणा सरकार ने संवेदनशील क्षेत्रों में तैनाती के लिए केंद्र से अर्धसैनिक बलों की मांग की है।
हाथ थामते ही मोदी पर भड़के महंत

हाथ थामते ही मोदी पर भड़के महंत

असम विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी के साथ गठजोड़ करने वाली असम गण परिषद (अगप) के प्रमुख प्रफुल्ल कुमार महंत ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर असम के हितों की उपेक्षा करने का आरोप लगाया है। गठबंधन में भाजपा द्वारा अगप के लिए कम सीटें छोड़े जाने से भी वे नाराज हैं। अंग्रेजी दैनिक `द इकोनॉमिक टाइम्स’ को दिए इंटरव्यू में महंत ने कहा है कि प्रधानमंत्री मोदी अभी ततक असम के लिए कुछ भी नहीं कर पाए हैं। भारत-बांग्लादेश के बीच जमीन हस्तांतरण को लेकर असम में बेहद नाराजगी थी। फिर भी उन्होंने यह संधि की।
अल्पसंख्यक दर्जा बहाल रखने के लिए पीएम से मिले एएमयू के वीसी

अल्पसंख्यक दर्जा बहाल रखने के लिए पीएम से मिले एएमयू के वीसी

अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (एएमयू) के कुलपति लेफ्टिनेंट जनरल जमीर उद्दीन शाह के नेतृत्व में विश्वविद्यालय के एक प्रतिनिधिमंडल ने शनिवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात कर विश्वविद्यालय के अल्पसंख्यक दर्जा को बहाल रखने में राजग सरकार के समर्थन की मांग की।
सैनी के खिलाफ कार्रवाई पर प्रदर्शन की चेतावनी दी गैर-जाट समुदायों ने

सैनी के खिलाफ कार्रवाई पर प्रदर्शन की चेतावनी दी गैर-जाट समुदायों ने

हरियाणा में 35 गैर-जाट समुदायों के नेताओं ने आज चेतावनी दी कि अगर जाट आरक्षण आंदोलन के सिलसिले में भाजपा सांसद राजकुमार सैनी के खिलाफ पार्टी कोई कार्रवाई करती है तो वे विरोध प्रदर्शन शुरू करेंगे।
पीएम के पहुंचने से पहले रॉक गार्डन निर्माता के बेटे को बाहर किया

पीएम के पहुंचने से पहले रॉक गार्डन निर्माता के बेटे को बाहर किया

चंडीगढ़ के मशहूर राॅक गार्डन के निर्माता दिवंगत नेकचंद के बेटे ने आरोप लगाया है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सुरक्षा अधिकारियों ने पीएम मोदी और फ्रांसीसी राष्ट्रपति फ्रांस्वा ओलोंद के वहां पहुंचने से कुछ मिनट पहले उनसे वहां से चले जाने के लिए कहा था।
पिछड़ा वर्ग आरक्षण सरकार के लिए चुनौती

पिछड़ा वर्ग आरक्षण सरकार के लिए चुनौती

बिहार विधानसभा चुनाव में पिछड़ा वर्ग को मिले आरक्षण के एक मुद्दे ने देश की सियासत ही बदल दी। चुनाव के दौरान जिस तरह से राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत के आरक्षण की समीक्षा के बयान की जो मतदाताओं में प्रतिक्रिया हुई, उसे देखते हुए भाजपा और राजग के साथ खड़े पिछड़े वर्ग के नेता सियासी अहमियत समझ अब इस वर्ग के हितों की बात खुलकर करने लगे हैं। हालांकि भाजपा नेताओं ने बार-बार इस बात को दुहराया कि आरक्षण की समीक्षा नहीं की जाएगी लेकिन इसका खास सियासी असर नहीं पड़ा।
मार्च फॉर इंडिया: इस विरोध के मायने क्या हैं

मार्च फॉर इंडिया: इस विरोध के मायने क्या हैं

इंडिया गेट से राष्ट्रपति भवन तक एक हुजूम नारे लगाता चल रहा है। इसे सोशल मीडिया ने कलबुर्गी-पानसरे की हत्या के पक्ष में भी देखा। लेकिन वहां ‘राष्ट्रवादियों’ ‘संघियों’ और ‘भक्तों’ के अलावा भी कई लोग भारत के लिए आए थे।
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