चलते हुए उन्होंने कुर्सी को बड़े नेह से देखा जैसे कह रहे हों, '40 साल तक तूने मुझे बहुत संभाला। अब मैं मुक्त करता हूं तुझे अपनी कामनाओं से।’ एक घंटे बाद जब वह दोबारा कॉलेज पहुंचे तो इस बार कॉलेज गुलजार था।
मैं चाहता था कि सब कुछ ऐसा ही रहा आए। वह जानती थी कि कुछ भी ऐसा नहीं रहेगा। वह गीले कैनवास पर अधसूखे रंगों को धीरे से छूती, …कहती, ‘कितने अच्छे हैं, …पर धुंधला जाएंगे।’ मैं आंखें बंद कर कहता, ‘मैं और बना दूंगा, इनसे भी अच्छे, और चटक, और गहरे।’
देश के राजनीतिक इतिहास में ऐसी घटनायें कम ही सुनने को मिलती हैं कि एक गीत किसी सरकार के लिए मुसीबत खड़ी कर दे और सरकार को उस गीत और गीतकार के खिलाफ पूरी ताकत झोंकनी पड़ी हो। और आख़िरकार वह गीत ही सरकार का विदाई गीत बन गया हो।
कांग्रेस सांसद शशि थरूर से उनकी पत्नी सुनंदा पुष्कर की रहस्यमय परिस्थिति में हुई मौत के मामले में दिल्ली पुलिस की विशेष जांच (एसआईटी) दल ने सात घंटे तक पूछताछ की। सूत्रों के मुताबिक पूछताछ में कई ऐसे सुराग हाथ लगे हैं जिससे थरूर की गिरफ्तारी हो सकती है।
सुनंदा पुष्कर की संदिज्ध मौत का राज गहराता जा रहा है। लेकिन उससे भी बड़ा राज यह है कि आखिर पुलिस विभाग के अधिकारी इस मामले में सही तथ्य क्यों नहीं दे पा रहे हैं। एक साल पुराने इस मामले में दिल्ली पुलिस की जांच पर भी सवाल उठने लगे हैं। क्योंकि पुलिस अभी पूछताछ के अलावा किसी नतीजे पर नहीं पहुंच सकी है और मामले को संदिज्ध ही बताया जा रहा है।
उनकी मुंदी आंखों के नीचे अंधेरे की गाढ़ी परत बिछी हुई थी। सरकारी अस्पताल के उस आईसीयू में गुजरे जमाने के मशहूर गवैए उस्ताद इकराम मुहम्मद खान को उनकी जिंदगी आखरी सलामी देने की तैयारी कर रही थी।