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Search Result : " Urdu Stories"

ये पांच दर्दनाक कहानियां बताती है कि स्कूल में कितने असुरक्षित हैं हमारे बच्चे

ये पांच दर्दनाक कहानियां बताती है कि स्कूल में कितने असुरक्षित हैं हमारे बच्चे

मां-बाप के द्वारा 'बच्चे का भविष्य' संवारने के उद्देश्य से उन्हें स्कूल भेजा जाना, फिर उस बच्चे का कभी न लौटकर आना या कुछ ऐसे घाव साथ लेकर आना जिससे उबरने में शायद जिंदगी बीत जाए। ऐसे मां-बाप पर क्‍या गुजरेगी?
ओबामा के जाली दस्तखत से लेकर नासा में साइंटिस्ट बनने तक, इन ''होनहारों'' के झूठ

ओबामा के जाली दस्तखत से लेकर नासा में साइंटिस्ट बनने तक, इन ''होनहारों'' के झूठ

चंडीगढ़ के सरकारी स्कूल से 12वीं के छात्र हर्षित शर्मा को गूगल में नौकरी मिलने का झूठा दावा पहला नहीं है। पहले भी ऐसे मामले आ चुके हैं और इससे भारत की विश्वसनीयता को वैश्विक स्तर पर झटका लगता है।
कालजयी संगीतकार बना ‘पंचम’ सुर में रोने वाला यह बालक

कालजयी संगीतकार बना ‘पंचम’ सुर में रोने वाला यह बालक

रिमझिम गिरे सावन,मेरे नैना सावन भादों, ओ मेरे दिल के चैन, करवटें बदलते रहे, तुझसे नाराज नही जिंदगी, तुम आ गए हो नूर आ गया है या यम्मा-यम्मा या जय-जय - शिवशंकर जैसे थिरकने वाले गीत, पर शायद ही कभी जानने की कोशिश की हो, कि आखिर कौन था वो चितेरा जिसने ऐसा कालजयी संगीत दिया।
सुप्रीम कोर्ट का आदेश, अगले साल से उर्दू में भी होगी नीट परीक्षा

सुप्रीम कोर्ट का आदेश, अगले साल से उर्दू में भी होगी नीट परीक्षा

सुप्रीम कोर्ट ने गुरूवार को 2018-19 सत्र में नीट परीक्षा में उर्दू को भी एक भाषा के रूप में शामिल कि जाने को लेकर केंद्र को निर्देश जारी किया है। छात्रों ने नीट 2017-18 सत्र के लिए सुप्रीम कोर्ट में उर्दू को एक भाषा के रूप में लेने के लिए अर्जी दी थी, लेकिन 2017-18 सत्र में इसे शामिल नहीं किया जा सका।
अगले शैक्षणिक वर्ष से उर्दू में भी नीट संभव

अगले शैक्षणिक वर्ष से उर्दू में भी नीट संभव

केंद्र ने आज उच्चतम न्यायालय से कहा कि वह एमबीबीएस और बीडीएस पाठ्यक्रमों की एकल प्रवेश परीक्षा नीट अगले शैक्षणिक वर्ष से उर्दू माध्यम में भी कराने के सुझाव पर विचार के लिए तैयार है।
‘भाषा का कोई धर्म नहीं होता, बल्कि मजहब को भाषा की जरूरत होती है’

‘भाषा का कोई धर्म नहीं होता, बल्कि मजहब को भाषा की जरूरत होती है’

उर्दू जबान की तरक्की के लिए फिक्रमंद साहित्यकारों और शिक्षाविदों का मानना है कि इस भाषा को सिर्फ मुसलमानों की जबान के तौर पर पेश कर एक दायरे में सीमित करने की कोशिशें की जा रही हैं जबकि असलियत यह है कि यह पूरे देश में और विभिन्न समुदायों में बोली जाती है और इसके विकास में सभी का अहम योगदान है। इसके अलावा उर्दू और हिंदी छोटी और बड़ी बहने हैं और इनमें आपस में कोई टकराव नहीं है।
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