प्रतिरोध का सिनेमा अभियान 12 साल का हो गया है। हर साल कुछ चुनिंदा फिल्में, फिल्मकार और बुद्धिजीवी जुटते हैं और सिनेमा की भाषा में वह कहते हैं जो आम आदमी भी कहना चाहता है।
सिनेमा ऐसा माध्यम है, जिसने कला की हर विधा के अस्तित्व को जीवित रखा है, कारण है संगीत, संवाद, कहानी लेखन, अभिनय, छायांकन, रचनात्मकता और प्रबंधन का सम्मिश्रण।
साउथ फिल्म इंडस्ट्री के अभिनेता और निर्माता कमल हासन ने एक ओर जहां एक भारत, एक कर (जीएसटी) का समर्थन किया है। वहीं, दूसरी ओर उन्होंने कहा कि जीएसटी बिल फिल्मी बिजनेस को बरबाद कर देगा। इस पर उन्होंने कहा कि अगर ऐसा हुआ तो वह फिल्म इंडस्ट्री छोड़ देंगे।
कर्नाटक सरकार ने आज राज्य के सभी सिनेमाघरों में टिकटों का अधिकतम मूल्य 200 रूपये तय कर दिया है। साथ ही, प्राइम टाइम के दौरान मल्टीप्लेक्सों में कन्नड़ और क्षेत्रीय सिनेमा दिखाना अनिवार्य कर दिया है।
उच्चतम न्यायालय ने स्पष्ट किया कि किसी फिल्म, वृत्त चित्र या समाचार फिल्म की कहानी के हिस्से के रूप में राष्ट्रगान बजने के दौरान दर्शकों को खड़ा होने की जरूरत नहीं है।
फिल्मों को कला के साथ-साथ संप्रेषण के माध्यम के तौर देखे जाने के प्रति दर्शकों की स्वीकार्यता ने हाल के बरसों में ढेरों फिल्म-समारोहों को भी जन्म दिया है। यही कारण है कि पिछले कुछ सालों में भारत के विभिन्न शहरों में किस्म-किस्म के फिल्मोत्सवों की शुरूआत हुई है जिनमें से काफी सारे समारोह खासा नाम भी कमा चुके हैं।