ऑल इंडिया मजलिस ए इत्तेहादुल मुस्लिमीन पार्टी (एआईएमआईएम) उत्तर प्रदेश के शामली जिले में कैराना से शुक्रवार को उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव के लिए अपना प्रचार अभियान शुरू करेगी।
सांसद असदउद्दीन औवेसी की पार्टी ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहाद-उल मुस्लमीन (एआईएमआईएम) उत्तर प्रदेश में वर्ष 2017 में होने वाले विधानसभा चुनावों की तैयारियों को लेकर मैदान में कमर कसे हुए है। हालांकि बीते एक वर्ष से इनके कार्यकर्ता उत्तर प्रदेश के गांव-गांव में कड़ी मेहनत कर रहे हैं लेकिन अब ये अपनी मांगों को लेकर ये आंदोलनरत हो गए हैं।
जिसे जिसका मांस खाना हो खाए, कोई गाय को माता माने या न माने, कोई बार-बार विदेश जाकर भारत की जैसी मर्जी महिमा मंडन करे, कोई किसी को मुल्ला कहे या पाकिस्तानी। मुसलमानों के एक बहुत बड़े वर्ग को इन बातों से कोई फर्क नहीं पड़ता। ये मध्य और निम्न मध्य वर्ग के वे मुसलमान हैं जो दंगों की लपटों में झुलस जाते हैं। इस वर्ग को मतलब है तो सिर्फ इस बात से कि इन्हें दो जून की रोटी मिलती रहे और रोटी कमाने वाले कायम रहें। ये अपने गांव में रहते रहें क्योंकि दूसरी किसी जगह पर ठिकाना नहीं है। इन्हें रहने के लिए गांव छोडक़र कैंपों में न जाना पड़े। यही इनकी सबसे बड़ी फिक्र है।
भड़काऊ भाषणों को लेकर सुर्खियों में रहने वाले औवेसी बंधू खुद को मुस्लिमों के हमदर्द के रूप में पेश करने की जद्दोजहद में लगे हैं, मगर सवाल यह है कि क्या मुसलमानों की भावनाओं को बेचकर खुद के लिए अपनी सीट सुरक्षित कर लेना हमदर्दी है ? इन भावनाओं का सौदा कर अपने लिए जमीन तैयार करने को आप क्या कहेंगे।