वैज्ञानिक बिना बैटरी वाला ऐसा आधुनिक पेसमेकर विकसित कर रहे हैं, जिसे खुद वह दिल चार्ज कर सकेगा, जिसमें वह लगाया गया होगा। यह प्रगति दरअसल एक पीजोइलेक्ट्रिक सिस्टम पर आधारित है जो कि छाती के भीतर हर धड़कन पर पैदा होने वाली कंपन ऊर्जा को विद्युत ऊर्जा में बदलने की क्षमता रखता है। इस तरह से पेसमेकर को जरूरी उर्जा उपलब्ध करवाई जा सकती है।
हिंदुस्तान और बाकी दुनिया के लिए यह खबर आंखें खोलने वाली है। हम अभी भी पेट्रोल, डीजल या गैस आधारित कारों के अंधाधुंध उत्पादन को ही विकास का पैमाना मान रहे हैँ जबकि भारत में इन कारों के सबसे बड़ी उत्पादक कंपनियां अपने देश में पर्यावरण अनुकूल कारों का उत्पादन लगातार बढ़ा रही हैं।