Advertisement

नज़रिया

कालेधन के विरुद्ध राजग सरकार का अभियान

कालेधन के विरुद्ध राजग सरकार का अभियान

कोई भी समाज ऐसे तंत्र को अनिश्चितकाल तक बनाए नहीं रख सकता जहां कमाई करने वाले व्‍यक्ति कर चोरी को जीवन का एक तरीका समझें। दुर्भाग्‍य से विगत में हमारे यहां टैक्‍स की दर काफी अधिक होने के चलते कर चोरी को प्रोत्‍साहन मिला। देश जब अपने नागरिकों पर तर्कसंगत दर से टैक्‍स लगाते हैं तो वे उन्‍हें ईमानदारी से उनकी आय का खुलासा करने के लिए प्रेरित कर सकते हैं।
वीरेन का जाना, जीवंत वामपंथी प्रतिज्ञा को गहरा आघात

वीरेन का जाना, जीवंत वामपंथी प्रतिज्ञा को गहरा आघात

अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अमेरिकी साम्राज्यवाद और राष्ट्रीय स्तर पर नरेंद्र मोदी-मार्का हिंदुत्ववादी फासीवाद के मौजूदा वर्चस्व के दौर में वीरेन डंगवाल (1948-2015) की कविता किसी आत्मीय, जीवंत, वामपंथी प्रतिज्ञा की तरह सामने आती है।
नेपाल पर भारत से सावधानी, संयम की अपेक्षा | नीलाभ मिश्र

नेपाल पर भारत से सावधानी, संयम की अपेक्षा | नीलाभ मिश्र

श्रीलंकाई तमिलों की तरह नेपाली मधेसियों के साथ भारत के घनिष्ठ सांस्कृतिक, जातीय और भाषायी संबंध हैं। सिर्फ श्रीलंकाई तमिल और मधेसी तो क्या, अगर आप सिंहल या गोरखा एवं गोरखा पूर्व इतिहास में गहरे उतरें तो भारत के साथ संबंधों का एक जैविक तंतु-जाल देखेंगे।
क्‍यों कुलपति बनने के काबिल नहीं हैं सुब्रह़मण्यम स्वामी?

क्‍यों कुलपति बनने के काबिल नहीं हैं सुब्रह़मण्यम स्वामी?

सुब्रह़मण्यम स्वामी को जवाहरलाल नेहरू विश्‍वविद़यालय का कुलपति बनाने की चर्चा इतनी तेजी से शुरू हुई कि प्रायः हर किसी ने इसे सच मान लिया। अकादमिक दुनिया कान लगाकर आहट सुनने लगी। इस पर मीडिया माध्यमों से लेकर बौद्ध‍िक तबके में विमर्श का दौर शुरू हो गया और सुब्रह़मण्यम स्वामी की टिप्पणियां भी सामने आ गई। उन्होंने अपनी योजनाएं भी बता दीं कि वे जेएनयू में किस प्रकार नक्सलियों और ड्रग्स के शिकार लोगों को काबू में करेंगे। यह अपेक्षा भी जता दी कि सरकार उन्हें खुली छूट दे तो वे काम करने को तैयार हैं।
गंगा-जमुनी संस्‍कृति पर हमलों का दौर

गंगा-जमुनी संस्‍कृति पर हमलों का दौर

देश इस समय विभिन्न क्षेत्रों में पतन की राह पर अग्रसर है। धर्मनिरपेक्षता, अनेकता, और भारतीय राष्ट्रीयता को राजनैतिक तौर पर कमजोर किए जाने के अलावा सांस्कृतिक बहुलता और मेलजोल की परंपरा पर भी कुठाराघात हो रहा है।
झुककर बिहार छीनने की कोशिश | नीलाभ मिश्र

झुककर बिहार छीनने की कोशिश | नीलाभ मिश्र

चुनाव आयोग का बिगुल बजने से पहले और चुनाव अभियान चल निकलने के साथ ही आगामी विधानसभा चुनावों ने राष्ट्रीय स्तर पर अपने नतीजे दिखाने शुरू कर दिए। कुछ बानगी:
एक ‘शाखाहारी’ की स्वीकारोक्ति | शेखर गुप्‍ता

एक ‘शाखाहारी’ की स्वीकारोक्ति | शेखर गुप्‍ता

इस वर्ष का राष्ट्रीय शिक्षक दिवस पूरी तरह एक नए अंदाज में मनाया गया। पहले तो हमने देखा कि किसी भी कक्षा में घुस जाने की ताकत रखने वाले हर महत्वपूर्ण सरकारी शख्स ने 'मैं भी शिक्षक’ का अपना सपना साकार किया। कड़वा सच बताना पड़ेगा कि हमारे अब तक के इस मंत्रिमंडल में सबसे कम पढ़े-लिखे लोग हैं। लेकिन उन्हें पढ़ाना अच्छा लगता है। और वे कभी-कभी पढ़ना भी पसंद करते हैं लेकिन वे अपने पसंदीदा शिक्षक और गुरुओं के गुरू आरएसएस के सिवा किसी और से पढ़ना नहीं चाहते।
आहार और विचार पर प्रतिबंध के बीच पिसती आजादी

आहार और विचार पर प्रतिबंध के बीच पिसती आजादी

असहिष्‍णुता, सामाजिक जीवन के किसी एक क्षेत्र में एकांत में ही नहीं फलती-फूलती बल्कि जीवन के विभिन्‍न क्षेत्रों में समांतर रूप से फैलती है। महाराष्‍ट्र में सत्‍ता में बैठी भाजपा के बहुमत वाली सरकार ने कुछ महीनों पहले बीफ बेचने और खाने पर प्रतिबंध लगाया था। इस फैसले ने मीट उद्योग से जुड़े कामगारों के सामने रोजगार का संकट पैदा कर दिया। मुंबई के सबसे बड़े देवनार बूचड़खाने के कामगार बेरोजगारी की मार से छटपटा रहे हैं।
आहें भरती बीमार नौकरशाही

आहें भरती बीमार नौकरशाही

राजनीतिक हस्तक्षेप और बेजा इस्तेमाल की बीमारी की वजह से नौकरशाही का मनोबल अब तक के सबसे निचले स्तर पर है।
Advertisement
Advertisement
Advertisement