याकूब की फांसी से झूलते कई कानूनी सवाल
जो लोग राजा-महाराजाओं को नाराज करते थे वह उन्हें हाथियों से कुचलवा दिया करते थे। आधुनिक सभ्य राज्य में वैसे लोगों को फांसी दी जाती है। लेकिन यह राजधर्म के नाम पर क्यों होता है? सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश अनिल दवे के खुली अदालत में बोले गए शब्द, गुनाहगारों को सजा राजधर्म है, मेरे कानों में हमेशा गूंजते रहेंगे। महाधिवक्ता की बातें भी हमेशा मेरे कानों में गुंजती रहेंगी जो उन्होंने न्यायाधीश कुरियन को कही कि तयशुदा चीजों में आप विलंब कर रहे हैं। इस आदमी का फांसी पर चढ़ना तय है। वह दोनों 1993 बम धमाकों के दोषी याकूब मेमन की फांसी पर रोक लगवाने वाली याचिका का विरोध कर रहे थे। क्या राजधर्म के अनुसार माया कोडनानी और बाबू बजरंगी को फांसी होगी?