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आकांक्षा पारे काशि‍व

मिले-जुले समाज से पाकिस्तान महरूम है-इंतिजार हुसैन

मिले-जुले समाज से पाकिस्तान महरूम है-इंतिजार हुसैन

पाकिस्तान के प्रसिद्ध कहानीकार इंतिजार हुसैन ने 2 फरवरी 2016 को इस संसार से विदा ले ली। भारत में पैदा हुए इंतिजार की शिक्षा पहले हापुड़ फिर मेरठ कॉलेज से हुई थी। सन 2012 में सआदत हसन मंटो की जन्मशताब्दी वर्ष के मौके पर पाकिस्तान के नामी अफसानानिगार इंतिजार हुसैन भारत आए थे। विभाजन के बाद वह परिवार के साथ पाकिस्तान चले गए थे। लेकिन उनकी रूह भारत में ही रहती थी। उनकी कहानियों में अलग तरह का दर्शन था। बस्ती, हिंदुस्तान से आखिरी खत उनकी लोकप्रिय कृतियों में से है। तब उन्होंने आउटलुक से ढेर सी बात की थी। उनके साक्षात्कार में उन्होंन बताया था भारत और भारतीयता की समझ को। उनका भारत में दिया गया अंतिम साक्षात्कार
गांधी: बस नाम ही बाकी है

गांधी: बस नाम ही बाकी है

राष्ट्रपिता के रूप में ख्याति पाने वाले शख्स के नाम पर पूरे भारत में ढेरों संस्थाएं हैं, जिनका बस 'नाम’ ही बाकी रह गया है
लड़कियों का आर्थिक स्वालंबन जरूरी - उमा भारती

लड़कियों का आर्थिक स्वालंबन जरूरी - उमा भारती

उमा भारती अपने संसदीय क्षेत्र की लड़कियों को पढ़ाना चाहती हैं ताकि आर्थिक स्वालंबन आए। उनके अनुसार लड़कियों को आगे बढ़ाने के लिए यह सबसे जरूरी कदम है। गंगा को निर्मल बनाना भी उनकी प्राथमिकता सूची में सबसे ऊपर है।
ये बच्चे बदललेंगे कल की तस्वीर

ये बच्चे बदललेंगे कल की तस्वीर

दिल्ली का इंडिया हैबिटैट सेंटर में रोज की तरह गहमा गहमी है। यहीं के एक हॉल में बिहार के अलग-अलग जिले से कुछ बच्चे आए हुए हैं, जोश और आत्मविश्वास से भरे हुए। अपनी बात कहने के लिए तत्पर।
समीक्षा - चॉक एन डस्टर

समीक्षा - चॉक एन डस्टर

रंजीव वर्मा और नीतू वर्मा ने स्कूल और इससे जुड़ी समस्याओं को बेहतर ढंग से रखा है और सोचने पर मजबूर किया। निर्देशक जयंत गिलेतर की यह कोशिश कामयाब ही कही जाएगी।
मातृभाषा में पढ़ाई जरूरी - भैरप्पा

मातृभाषा में पढ़ाई जरूरी - भैरप्पा

कर्नाटक के हासन जिले में रहने वाले एस एल भैरप्पा ने भारतीय संस्कृति पर और पुराणों पर बहुत काम किया है। पर्व और आवरण जैसे चर्चित उपन्यास के लेखक भैरप्पा चाहते हैं कि भारतीय संस्कृति को जीवित रखना है तो आज ही कदम उठाने होंगे।
फिल्म समीक्षा – वजीर

फिल्म समीक्षा – वजीर

शोले का ठाकुर अपना बदला लेने के लिए जय-वीरू नाम के दो बदमाशों को खोजता है। वजीर का ओमकार नाथ धर अपना बदला लेने के लिए पुलिस का ही एक स्पेंड अधिकारी खोज लेता है।
सफाई करने वाला पत्रकार

सफाई करने वाला पत्रकार

मध्य प्रदेश के बाबरी गांव में जन्में बीके हिंदुस्तानी पिता जी की नौकरी की वजह से भिलाई के छत्तीसगढ़ में रहे। वहीं पढ़ाई की और उसे ही अपना कर्मक्षेत्र बनाया। लेकिन जब अपने जन्म स्थान लौटे तो कुछ अलग करने के जज्बे के साथ।
जिन्हें नहर किनारे ही ‘ठीक’ से आती है!

जिन्हें नहर किनारे ही ‘ठीक’ से आती है!

नरेंद्र मोदी के स्वच्छ भारत अभियान के अंतर्गत खुले में शौच न जाने के नियम ने कई बुजुर्गों की सुबह बिगाड़ दी है। बात सिर्फ खुले में शौच करने पर 250 रुपये जुर्माने की नहीं है, आदत की भी है। हालांकि लोग मानते है कि ठीक से सफाई रहेगी तो उनका स्वास्थ्य भी ठीक रहेगा।
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