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आकांक्षा पारे काशि‍व

समीक्षा - चॉक एन डस्टर

समीक्षा - चॉक एन डस्टर

रंजीव वर्मा और नीतू वर्मा ने स्कूल और इससे जुड़ी समस्याओं को बेहतर ढंग से रखा है और सोचने पर मजबूर किया। निर्देशक जयंत गिलेतर की यह कोशिश कामयाब ही कही जाएगी।
मातृभाषा में पढ़ाई जरूरी - भैरप्पा

मातृभाषा में पढ़ाई जरूरी - भैरप्पा

कर्नाटक के हासन जिले में रहने वाले एस एल भैरप्पा ने भारतीय संस्कृति पर और पुराणों पर बहुत काम किया है। पर्व और आवरण जैसे चर्चित उपन्यास के लेखक भैरप्पा चाहते हैं कि भारतीय संस्कृति को जीवित रखना है तो आज ही कदम उठाने होंगे।
फिल्म समीक्षा – वजीर

फिल्म समीक्षा – वजीर

शोले का ठाकुर अपना बदला लेने के लिए जय-वीरू नाम के दो बदमाशों को खोजता है। वजीर का ओमकार नाथ धर अपना बदला लेने के लिए पुलिस का ही एक स्पेंड अधिकारी खोज लेता है।
सफाई करने वाला पत्रकार

सफाई करने वाला पत्रकार

मध्य प्रदेश के बाबरी गांव में जन्में बीके हिंदुस्तानी पिता जी की नौकरी की वजह से भिलाई के छत्तीसगढ़ में रहे। वहीं पढ़ाई की और उसे ही अपना कर्मक्षेत्र बनाया। लेकिन जब अपने जन्म स्थान लौटे तो कुछ अलग करने के जज्बे के साथ।
जिन्हें नहर किनारे ही ‘ठीक’ से आती है!

जिन्हें नहर किनारे ही ‘ठीक’ से आती है!

नरेंद्र मोदी के स्वच्छ भारत अभियान के अंतर्गत खुले में शौच न जाने के नियम ने कई बुजुर्गों की सुबह बिगाड़ दी है। बात सिर्फ खुले में शौच करने पर 250 रुपये जुर्माने की नहीं है, आदत की भी है। हालांकि लोग मानते है कि ठीक से सफाई रहेगी तो उनका स्वास्थ्य भी ठीक रहेगा।
फिल्मफेयर अवॉर्ड टिकट किस्तों में

फिल्मफेयर अवॉर्ड टिकट किस्तों में

बॉलीवुड का सबसे प्रतिष्ठित अवॉर्ड फिल्मफेयर के प्रति हमेशा से अलग तरह की चाहत रही है। फिल्मफेयर के 61 साल के इतिहास में पहली बार साधारण दर्शक इसका हिस्सा बन पाएंगे।
कपड़े पर कुरान, होगी पुस्तक मेले की शान

कपड़े पर कुरान, होगी पुस्तक मेले की शान

भारत भर के तमाम पाठक, लेखक, प्रकाशक और पुस्तक मेले के प्रशंसक हर बरस मेले की बाट जोहते हैं। इस साल यह मेला हर साल की तरह प्रगति मैदान में 9 से 17 जनवरी 2016 को होगा।
रवीन्द्र नाथ टैगोर को नए नजरिए से देखें

रवीन्द्र नाथ टैगोर को नए नजरिए से देखें

अर्जेंटिना सरकार के सहयोग से रवीन्द्र नाथ टैगोर पर बन रही है। इस फिल्म में रवीन्द्र नाथ टैगोर और अर्जेंटिना की प्रसिद्ध लेखिका विक्टोरिया के बीच पत्राचार और उनकी यात्रा की कहानी है। सूरज कुमार भारत के निर्माता की हैसियत से इस फिल्म से जुड़ रहे हैं।
समीक्षा - दिलवाले

समीक्षा - दिलवाले

दिलवाले सच में दिलवालों की फिल्म है। इतना झेलने के लिए बड़ा दिल चाहिए। काली बनाम राज (शाहरूख खान) और राज बनाम काली के बीच चलती इस फिल्म में मीरा (काजोल), वीर (वरुण धवन) और इशिता (श्रुति सेनन) हैं। गोवा में फिल्म शुरू होकर बुल्गारिया में फ्लैश बैक में पहुंच जाती है। फिर गोवा और हैप्पी एंडिंग।