लगता है शाहिद कपूर को अंदाजा नहीं है कि शादी के बाद खर्चे बढ़ जाते हैं। इस बात का अंदाजा होते ही वह सिर्फ बढ़िया काम करना चाहेंगे, ‘शानदार’ के चक्कर में नहीं पड़ेंगे।
खुलना से ढाका की ओर मैंने जब रवानगी डाली तो दिन के दो बज रहे थे। खुलना से ढाका की दूरी मात्र 132 किलोमीटर है। लेकिन यह 132 किलोमीटर का सफर तय करने में मुझे पूरे नौ घंटे लगे। बीच में गंगा नदी को भी पार करना होता है, जो यहां आकर पद्मा बन जाती है। इस नदी पर कोई पुल नहीं है। बस, ट्रक, रिक्शे, सभी एक बड़े शिप पर सवार होते हैं और फिर उस पार पहुंचा दिए जाते हैं।
नए जमाने की कहानियां अब इतने नए जमाने की हो गई हैं कि यह फिल्में सिर्फ एक खास पीढ़ी को ही अच्छी लग सकती हैं। प्यार का पंचनामा का पहला भाग भी ठीक ठाक चल गया था तो इसका सीक्वेल भी अच्छा चल जाने की पूरी उम्मीद है। पूरे देश के विश्वविद्यालय के छात्र भी अगर इस फिल्म को देख लेंगे तो निर्माता के पूरे पैसे वसूल हो जाएंगे।
कोलकाता से जब भारतीय सीमा के आखरी गांव बॉनगांव में रात रूकी तो कई बार एक ही सवाल पूछा गया, ‘बांग्लादेश क्यों जा रही हैं? वहां तो कुछ नहीं है।’ जवाब में ‘घूमने’ कहने पर लोगों की प्रतिक्रिया ऐसी होती थी जैसे कहना चाह रहे हों, ‘बेवकूफ।’
भारत का पड़ेसी, बांग्लादेश अब अशांत होने लगा है। धीरे-धीरे इस्लामिक कट्टरपंथ यहां पैर फैला रहा है। हिंदुओं के लिए यहां समस्या तो पहले से थी, लेकिन अब मसला सांप्रदायिकता से निकल कर धार्मिक कट्टरवाद की ओर बढ़ रहा है। यह उन्माद हिंदुओं के घुटन का कारण भी बन रहा है। इस देश के हालातों पर जायजे की पहली कड़ी।
सलमान खान यदि छींक भी दें तो उनके प्रशंसक उस खबर को जानना चाहते हैं। फिर यहां तो बात उनकी आने वाली नई फिल्म की है। दीवाली के मौके पर उनकी नई फिल्म प्रेम रतन धन पायो आने वाली है और हंगामा है कि अभी से बरप रहा है।
इस फिल्म का नाम सिंह इज ब्लिंग की बजाय सिंहनी इज ब्लिंग होना चाहिए। अगर फिल्म की दो सिंहनियों, सारा (एमी जैक्सन) और ऐमिली (लारा दत्ता) को निकाल दिया जाए तो इस 140 मिनट की फिल्म को 40 मिनट झेलना भी मुश्किल होगा।
रवीन्द्र संगीत के शौकीन और किसी वक्त में इसे सीखने वाले मलय घोष को अंदाजा भी नहीं रहा होगा कि संगीत की यह शिक्षा एक दिन उनके लिए रोजी-रोटी का जरिया बनेगी।
पश्चिमी उत्तर प्रदेश का शहर मेरठ और वहां के कम पढ़े-लिखे बेरोजगार लड़के। वैसे ही जैसे खाली दिमाग शैतान का घर टाइप होते हैं। छोटी मोटी छेड़खानी और गुंडागर्दी से ही जिनका काम चलता है एक दिन उस समूह के लड़के अचानक खुद को एक बड़े गैंग के रूप में पाते हैं।