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आकांक्षा पारे काशि‍व

बदनाम हुए तो क्या, दाम मिलेगा

बदनाम हुए तो क्या, दाम मिलेगा

पीके फिल्म के नाम पर जितनी चिल्ला चोट हो सकती है हो रही है। बैनर-पोस्टर आग के हवाले किए जा रहे हैं। टेलीविजन चैनल पर बहस का बाजार गरम है। यह फिल्म के विषय पर बहस न होकर केसरिया-हरे की बहस हो कर रह गई है।
कामयाबी की कुंजी

कामयाबी की कुंजी

सफलता की कुंजी ने गांव-कस्बों-शहर की सीमा को धुंधला दिया है। अब सभी को एक ही कड़ी जोड़ रही है-आत्मविश्वास
कहां से चले कहां तक

कहां से चले कहां तक

पर्यटन स्थल नहीं बदले, वहां आ कर उसे निहारने वाले लोग बदल जाते हैं। ऐसे ही कुछ बदलावों पर एक नजर
गुपचुप मुलाकात

गुपचुप मुलाकात

नरेंद्र मोदी कभी मीडिया से दूरी बना लेते हैं तो कभी मीडियाकर्मियों को गले भी लगा लेते हैं। मोदी सरकार के छह मार पूरे होने पर जब कुछ टीवी चैनलों ने सरकार की आलोचना करनी शुरू की तो प्रधानमंत्री को लगा कि कहीं दूरी बनाने के कारण तो ऐसा नहीं है।
उदासियों, संघर्षों और जिजीविषा का चितेरा

उदासियों, संघर्षों और जिजीविषा का चितेरा

राबिन शॉ पुष्प के अंतिम संस्कार में शामिल होने के लिए सुबह लौटते हुए पीछे छूटते गांवों से निकलकर उनकी कहानी में प्रवेश लेना था। यह कहानी आभा ब्राउन की नहीं है, ओनील और आभा ब्राउन और उनके माता-पिता मेरे साथ हो लिए थे।
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