काला रंग पार्टी के लिए सबसे अहम रंग माना जाता रहा है। लेकिन अब यह बीती बात हो गई है। फैशन डिजाइनरों की मानें तो ‘नए काले’ के रूप में अब सफेद उभर रहा है।
87 वें ऑस्कर पुरस्कारों का इंतजार खत्म हो गया। अच्छी, सबसे अच्छी और श्रेष्ठ फिल्मों के बीच की खूबियां पता चल गईं। इस बार किसी एक फिल्म की धूम नहीं रही और भारत के हाथ फिर निराशा हाथ लगी। विदेशी भाषा फिल्म की श्रेणी में भारत की फिल्म कोई जगह नहीं बना पाई। भारत ने इस बार लायर्स डाइस फिल्म इस श्रेणी के लिए भेजी थी
विश्व पुस्तक मेले में इस बार हिंदी लेखकों की आमद ने पाठकों को भी पछाड़ दिया है। देश के कोने-कोने से पधारे लेखकों को देख कर लगता है कि हिंदी साहित्य की परंपरा बहुत समृद्ध हो रही है। किताबों की संख्या बढ़ रही है क्योंकि एक-एक लेखक साल भर में कम से कम पांच किताबें लिखने का माद्दा रखता है।
बदलापर फिल्म से इतन तो साफ है कि भारत में आजकल फिल्में सिर्फ बनने के लिए ही बन रही है। दर्शकों के लिए उसमें कुछ तथ्य होना चाहिए इस पर सोचना शायद निर्माता-निर्देशक बंद कर चुके हैं। कुछ ट्विस्ट एंड टर्न देकर लगता है एक फिल्म में बस यही होना काफी है।
कल अनूप सिंह निर्देशित फिल्म किस्सा रीलीज हो रही हैं। फिल्म के निर्देशक का कहना है कि वह ऋत्विक घटक से काफ़ी प्रभावित हैं। भले ही यह फिल्म बड़े बजट की न हो लेकिन इसमें अच्छे कलाकार काम कर रहे हैं।
धीरे-धीरे दिल्ली फिल्म बनने के नए केंद्र के रूप में स्थापित हो रही है। यहां न सिर्फ फिल्मों की शूटिंंग होने लगी है बल्कि मुंबई पर अब निर्भरता कम हो रही है।
किताब प्रेमी हर साल इन्तज़ार करते हैं कि कब किताबों का मौसम आएगा और वे न सिर्फ किताबों की दुनिया में खो जाएंगे बल्कि भागम भाग के इस दौर में कुछ पल किताबों की जिल्द की छांव में सुस्ता भी लेंगे। पुस्तक मेला नएपन के लिए जाना जाने लगा है।
वैलेन्टाइन्स डे पर यूबर कैब सर्विस दिल्ली के जोड़ों के लिए पांच हजार रूपये में 20 मिनट की हवाई सैर का ऑफर लायी है। इस काम में कैब सर्विस ने ख़ास तौर हेली कॉप्टर सेवा मुहैया करायी है।