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आवाज न उठाता तो नकली पत्रकार बनताःदेवांश मेहता

आवाज न उठाता तो नकली पत्रकार बनताःदेवांश मेहता

इन दिनों सेंट स्‍टीफन कॉलेज के छात्र देवांश मेहता सुर्खियों में हैं। दर्शनशास्त्र, तृतीय वर्ष के इस छात्र ने अपनी साख, सम्मान और अपने पर लगे आरोपों को पूरे कॉलेज के सामने खारिज करने के लिए उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया। न्याय मिल भी गया। देवांश अपनी जीत से काफी खुश है। उनका कहना है कि कोई कितना ही ताकतवर और ऊंची कुर्सी पर क्यों न बैठा हो, जुल्म के खिलाफ हर हाल में आवाज उठानी चाहिए। अपनी जीत के मौके पर देवांश ने आउटलुक से खास बातचीत कीः
जिसे हनुमान जी बुलाते हैं वही आते हैं

जिसे हनुमान जी बुलाते हैं वही आते हैं

शास्त्रीय गायिकी के सबसे प्रतिष्ठित संकटमोचन हनुमान मंदिर, वाराणासी में पहली बार किसी पाकिस्तानी कलाकार की आवाज गूंजी। भारतीयों के दिलों में बसने वाले यही फनकार गुलाम अली ने ऐसा समा बांधा कि देर शाम से सुबह तक उनके मुरीद मंदिर प्रांगण में उन्हें सुनने के लिए डटे रहे।
नेट न्यूट्रेलिटी ना छोड़े ट्राईः सत्पथी

नेट न्यूट्रेलिटी ना छोड़े ट्राईः सत्पथी

हाल ही में भारत में भी इंटरनेट तटस्थता पर ट्राई को पत्र लिखने वाले धनखल, ओडिशा से बीजू जनता दल के सांसद तथागत सत्पथी ने इस विषय पर आउटलुक हिंदी की फीचर संपादक आकांक्षा पारे काशिव से बात की।
‘बांसुरी मेरा पहला प्यार है’-मु्‍क्तेश चंद्र

‘बांसुरी मेरा पहला प्यार है’-मु्‍क्तेश चंद्र

दिल्ली पुलिस में विशेष आयुक्त यातायात मुक्तेश चंद्र का नाम सुनते ही एक दबंग अंदाज, कड़क मिजाज और अनुशासन प्रिय अधिकारी की छवि उभरकर सामने आती है। लेकिन इस छवि के अलावा मुक्तेश चंद्र की पहचान एक बांसुरी वादक के रुप में भी है। 1988 बैच के आईपीएस अधिकारी मुक्तेश चंद्र से बांसुरी के प्रति उनके लगाव और निष्ठा को लेकर बातचीत की गई। पेश है प्रमुख अंश-
स्वास्थ्य पर्यटन को बढ़ावा देगी सरकार: शर्मा

स्वास्थ्य पर्यटन को बढ़ावा देगी सरकार: शर्मा

पर्यटन और संस्कृति ऐसे विभाग हैं, जिनमें अपार संभावनाएं हैं। कई क्षेत्र हैं, जिन्हें पर्यटकों के लिए विकसित किया जा सकता है। संस्कृति के क्षेत्र में भारतीय संस्कृति को विश्व मानचित्र पर उकेरा जा सकता है। नई सरकार में इस क्षेत्र में कई काम हो रहे हैं। इसी से संबंधित राज्यमंत्री संस्कृति एवं पर्यटन मंत्रालय (स्वतंत्र प्रभार) एवं नागरिक उड्डयन मंत्रालय के राज्य मंत्री महेश शर्मा ने आउटलुक से बातचीत की।
राजद में नेतृत्व का अभाव है: पप्पू यादव

राजद में नेतृत्व का अभाव है: पप्पू यादव

मधेपुरा से राजद सांसद पप्पू यादव पार्टी प्रमुख लालू यादव से नाराज हैं। पप्पू यादव पूर्व मुख्य‍मंत्री जीतनराम मांझी को समर्थन दे रहे हैं और चाहते हैं कि राजद भी समर्थन दे ताकि राज्य में सामाजिक न्याय का नारा बुलंद हो सके। पप्पू यादव से आउटलुक की बातचीत के प्रमुख अंश-
राजनीति की नर्सरी है छात्र राजनीति

राजनीति की नर्सरी है छात्र राजनीति

समाजवादी छात्र सभा केे निवर्तमान राष्ट्रीय अध्यक्ष सुनील सिंह यादव का मानना है कि छात्र राजनीति से ही राजनीति की शुरुआत होती है। अगर राजनीति के क्षेत्र में युवा जाना चाहते हैं तो छात्र राजनीति से इसकी शुरुआत करनी चाहिए। छात्र राजनीति से अपने राजनीतिक कॅरियर की शुरुआत करने वाले सुनील आज के युवाओं को राजनीति से जुड़ने का आह्वान भी करते हैं। लोकतंत्र में छात्र राजनीति को अहम मानने वाले सुनील सिंह यादव से आउटलुक ने बातचीत की। पेश है प्रमुख अंश-
मेरा कोई धर्म नहीं-सईद मिर्जा

मेरा कोई धर्म नहीं-सईद मिर्जा

सईद मिर्जा का सिनेमा सामाजिक सरोकारों वाले सिनेमा के लिए जाना जाता है। भारतीय समानांतर सिनेमा के इस निर्देशक ने सलीम लंगड़े पे मत रो और अल्बर्ट पिंटो को गुस्सा क्यों आता है जैसी कई महत्वपूर्ण फिल्में बनाई हैं।
मत हथियाइए कृषि भूमि और चरागाह

मत हथियाइए कृषि भूमि और चरागाह

भूमि अधिग्रहण विधेयक लोकसभा में पारित हो गया है, हालांकि भारी विरोध को देखते हुए मोदी सरकार सहमति, मुआवजे और निजी क्षेत्र के लिए अधिग्रहण के प्रावधानों पर थोड़ी नरम पड़ी। अब गेंद राज्य सभा के पाले में है। जहां विपक्ष का बहुमत है। विपक्ष और सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी के शिवसेना जैसे सहयोगी, विधेयक के विरोध की जमीन पर बने रहें चाहें तो आपसी सहमति अथवा दोनों पक्षों की थोड़ी नरमी से विधेयक पारित हो जाए। इस मसले पर कई मत हैं। थोड़े और संशोधनों के पक्षधर तो कुछ इस विधेयक को पूरी तरह नकार देने के। भाजपा की विचारधारा वाले के. एन. गोविंदाचार्य भी इस मसले पर भाजपा सरकार से अलग राय रखते हैं। अण्णा हजारे और उनके सहयोगी संगठनों को मोदी सरकार की नई भूमि अधिग्रहण नीति के विरोध में गोलबंदी के लिए प्रेरित करने में गोविंदाचार्य ने अहम भूमिका निभाई है।
साहित्य सम्मेलन क्यों हों

साहित्य सम्मेलन क्यों हों

सन 2014 का ज्ञानपीठ पुरस्कार मराठी लेखक भालचंद्र नेमाड़े को दिया जाएगा। नेमाड़े अपने उपन्यास हिंदू – जगण्याची अड़गळ के लिए जाने जाते हैं। मराठी भाषा में अड़गळ का अर्थ होता है ऐसा कबाड़ जो संभाल कर रखा जाता है। ऐसे कबाड़ को प‌रिभाषित करने वाले नेमाड़े बहुत बेबाकी से बोलते हैं।
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