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रहन-सहन

कहां से चले कहां तक

कहां से चले कहां तक

पर्यटन स्थल नहीं बदले, वहां आ कर उसे निहारने वाले लोग बदल जाते हैं। ऐसे ही कुछ बदलावों पर एक नजर
कहाँ गए हमारे कार्टून?

कहाँ गए हमारे कार्टून?

कार्टून पर हमले भलेही यूरोपीय देशों में हो रहे हों, लेकिन अपने देश में वह पहले ही मरणासन्न हालत में है. साढ़े तीन दशक पहले जब हमने पत्रकारिता में कदम रखा था तब लगभग हर अखबार में कार्टून छपा करते थे, उन पर चर्चा हुआ करती थी, नामी कार्टूनिस्ट हुआ करते थे. हिन्दी अखबार, जिनकी अर्थव्यवस्था अपेक्षाकृत कमजोर मानी जाती थी, वहाँ भी दो-दो कार्टूनिस्ट होते थे.
आसां हुई दिल की निगरानी

आसां हुई दिल की निगरानी

अमेरिका में भारतीय मूल के चिकित्सक डॉ. जय एस. यादव ने हृदय की निगरानी के लिए एक ऐसा उपकरण बनाया है जो दिल से फेफड़े की ओर जाने वाली धमनी (पल्मोनरी आर्टरी) में रक्त के दबाव की सटीक मॉनिटरिंग करता है और वह भी मरीज के घर में रहने के दौरान।
भारतीय मसालदानी में सिर्फ जीरा

भारतीय मसालदानी में सिर्फ जीरा

दोपहर के खाने में फास्ट-फूड का चलन बढ़ गया है। मैंने कभी नहीं सुना था कि लोग रात के खाने में पिज्जा खा रहे हैं। इसकी एक वजह वक्त की कमी भी है। होम-डिल्वरी सुविधा ने भी रसोईघर से दूरी बढ़ा दी है।
थाली हुई दादी-नानी की कहानी

थाली हुई दादी-नानी की कहानी

बाजार अब रेडी-टू-ईट यानि फटाफट खाद्य पदार्थों से भरा पड़ा है। मुंबई का बड़ा-पाव से लेकर कुछ भी घर लाओ, गरम करो और खाओ। फ्रोजन मार्केट यानि बर्फ में जमाई खाद्य सामग्री का बाजार तेजी से बढ़ रहा है।
बड़े बदलावों से अछूता आधा देश

बड़े बदलावों से अछूता आधा देश

स्वास्थ्य और शिक्षा की स्थिति में बदलाव आने पर समाज में बदलाव आना तय माना जाता है। इस पैमाने पर देखें तो भारत की स्थिति पिछली कुछ वर्षों में जस की तस बनी हुई है। मानव विकास सूचकांक के अनुसार भारत की रैंकिंग दुनिया में 135 है
ट्रांस फैट से जरा बचके

ट्रांस फैट से जरा बचके

अच्छे और बुरे इंसान की तरह फैट भी अच्छा और बुरा होता है। आपको सिर्फ सबसे बुरे प्रकार के वसा ट्रांस फैट को ग्रहण करने से परहेज करना है।
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