आज चरम मौसमी घटनाओं, जैसे ग्लेशियरों के पिघलने, बादल फटने, सूनामी आने, बिजली गिरने, ऋतु-चक्र बदलने, वायरसों के प्रकोप और प्राणियों की असमय मौत में कुदरत के इस प्रतिशोध को हम रोज ही देख रहे हैं
भारत की आजादी की हीरक जयंती के मौके पर एक बुनियादी बात सिरे से भुला दी गई है कि हमारी सारी आजादियां बुनियादी रूप से अपनी धरती, प्रकृति और व्यापक स्तरह पर समूचे ब्रह्माण्ड के सापेक्ष संचालित होती हैं।
आजादी की हीरक जयंती (75वीं वर्षगांठ) पर कुछ ऐसे सुराजियों और उन बिरले अंग्रेजों की कथा याद करना जरूरी है, जिनके बिना आजादी की लड़ाई का वृतांत अधूरा है या यूं कहें कि इतिहास में जिन्हें जगह न के बराबर मिली है
जब-जब किसी राष्ट्र के निजी हित का सवाल आया, सबसे पहला समझौता पर्यावरण से किया गया। शायद ही कभी किसी मुल्क की अवाम ने पर्यावरण की अनदेखी के कारण हुक्मरानों को सत्ताच्युत किया हो।