बजट में सपने बड़े लेकिन उन्हें पूरा करने के उपाय नहीं दिखते, सहूलियत से ज्यादा परेशानियां
चहुं ओर मंदी का साया घिरता जा रहा है लेकिन बजट में उपभोग और मांग को बढ़ाने वाले कदम नदारद हैं
देश की सबसे पुरानी पार्टी अपने संकट से निजात पाने का कोई तरीका ढूंढ़ पाएगी या इतिहास के पन्नों में समा जाएगी
बेहतर और अलग भारत के विजन पर पार्टी काम करे तो वह तमाम क्षेत्रीय और धर्मनिरपेक्ष पार्टियों के बीच पुल का काम कर सकती है और अपनी जगह भी वापस पा सकेगी
कई गंभीर खामियों के बावजूद कांग्रेस का आज के परिप्रेक्ष्य में फिर से खड़ा होना देशहित में
बदले हालात में अब कांग्रेस में जान फूंकने की कवायद जनांदोलनों और जन-जागरण अभियान से ही संभव
गहराते राजनैतिक संकट के बीच कांग्रेस-जद (एस) गठबंधन सरकार पर अनिश्चितता के बादल
नए तालमेल से कांग्रेस को मिला पहला आदिवासी प्रदेश प्रमुख
देश की राजधानी दिल्ली में दिन-ब-दिन अपराध के बढ़ते मामले और आंकड़े यह पुख्ता कर रहे हैं कि यह 'क्राइम कैपिटल' बनती जा रही है, फिर भी पुलिस-प्रशासन इसे झुठलाने में जुटा
सामाजिक सौहार्द और युवाओं में सकारात्मक ऊर्जा बढ़ाने की नई पहल
भारतीय तीरंदाजी संघ दोफाड़, वर्ल्ड आर्चरी फेडरेशन ने किया डि-लिस्ट, प्रतिभावान तीरंदाज विश्व प्रतिस्पर्धाओं में मुकाबले से वंचित
ग्लोबल हैकर अभिनेत्रियों से लेकर सोशल मीडिया इनफ्लुएंशर जैसे लाखों फॉलोअर वालों के फेसबुक एकाउंट हैक कर लगा रहे हैं लाखों का चूना
हॉलीवुड फिल्मों ने बॉलीवुड की कमाई का रिकॉर्ड तोड़ा, घबराए बॉलीवुड निर्माता रिलीज टालने पर मजबूर
क्रांतिकारी ऐलानों की भरमार, मगर महज प्रतीकों से पांच ट्रिलियन डॉलर की इकोनॉमी कहां बनेगी
कृषि क्षेत्र और ग्रामीण अर्थव्यवस्थाद को दुरुस्त करने के लिए प्रावधानों में भारी कंजूसी
पांच ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने के लिए सरकार ने तोड़ी दशकों पुरानी परिपाटी
रिटर्न में पेट्रोल और फोन बिल जैसे टैक्स-फ्री भत्तों की जानकारी देनी होगी, स्टैंडर्ड डिडक्शन के लिए भी अलग कॉलम जोड़ा गया है
मोदी सरकार 2.0 के पहले बजट में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने भारतीय अर्थव्यवस्था को पांच लाख करोड़ डॉलर बनाने के सपने दिखाए। इसकी हकीकत भला सबसे अधिक बजट पेश करने वालों में शुमार, कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पूर्व वित्त मंत्री पी.चिदंबरम से बेहतर कौन बता सकता है? इस कथित तौर पर नई परंपरा के बजट के तमाम पहलुओं पर उनसे संपादक हरवीर सिंह और एसोसिएट एडिटर प्रशांत श्रीवास्तव ने बातचीत की। पूर्व वित्त मंत्री ने आर्थिक सुधारों से लेकर अर्थव्यवस्था की स्थिति और बजट के प्रावधानों और आवंटनों के बारे में विस्तार से बताया। प्रमुख अंश:
ये कविताएं बहुत सारी स्त्रियों के दुख से बनी एक अंतहीन कथा है
उनकी कहानियां और लेखन आज की सांप्रदायिकता, राष्ट्रीयता, सत्ता के मद और उत्पीड़न का हूबहू चित्रण
सच यह है कि न लीची मारती न गर्मी मारती, न सर्दी मारती, न अकाल मारता, न बाढ़ मारती। मारती है तो गरीबी