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'पहल' का कोई गुट नहीं रहा - ज्ञानरंजन

'पहल' का कोई गुट नहीं रहा - ज्ञानरंजन

आजादी के बाद हिंदी साहित्य में जिन पत्रिकाओं ने अपनी विशिष्ट पहचान बनाई उनमें 'पहल' का नाम उल्लेखनीय है। यह पत्रिका अपने वैचारिक तेवर और प्रतिबद्धता के लिए विशेष रूप से जानी जाती है। हिंदी की इस चर्चित पत्रिका ने प्रकाशन के चालीस साल पूरे कर लिए हैं। इस पत्रिका ने देश के चार दशकों के राजनीतिक, सामाजिक, सांस्कृतिक जीवन और इतिहास को भी समेटा है। हाल ही में इसका सौवां अंक आया। इस मौके पर जबलपुर में एक समारोह भी आयोजित किया गया।
बेटी के साथ अनोखी पहल

बेटी के साथ अनोखी पहल

बेटियो की कमी से जूझ रहे हरियाणा राज्य में एक ग्राम पंचायत ने अनूठी पहल की है। पंचायत ने लोगों से अपनी बेटी के साथ सेल्फी खींच कर उसे प्रतियोगिता में भेजने के लिए कहा है। ‘सेल्फी लो और इनाम पाओ’ नामक इस प्रतियोगिता में चयनित तस्वीरों को पंचायत की ओर से इनाम दिया जाएगा।
पीड़ितों तक पहुंच रहे हैं थाने

पीड़ितों तक पहुंच रहे हैं थाने

चलित थानों के माध्यम से पुलिस के सामने 500 से ज्यादा समस्याएं आई, जिसमें से लगभग दो तिहाई समस्याओं का समाधान तुरंत ही कर दिया गया।
चुनाव के जरिए छात्रों को जोडऩे की पहल

चुनाव के जरिए छात्रों को जोडऩे की पहल

उत्तर प्रदेश में एक बार फिर छात्र राजनीति को बढ़ावा देने के लिए प्रदेश सरकार ने कमर कस ली है। प्रदेश के सभी विश्वविद्यालयों और डिग्री कॉलेजों में छात्रसंघ चुनाव कराने की तैयारी शुरू कर दी है।
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