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Search Result : "अभिनव गुप्त"

बिंद्रा ने कहा, रियो बीत गया अब आगे देखना अहम

बिंद्रा ने कहा, रियो बीत गया अब आगे देखना अहम

निशानेबाजों के रियो ओलंपिक में निराशाजनक प्रदर्शन की जांच कर रही पांच सदस्यीय समीक्षा समिति की अध्यक्षता करने वाले अभिनव बिंद्रा ने आज कहा कि बीते समय में देखने के बजाय उनकी दिलचस्पी बेहतर भविष्य का रास्ता तैयार करने में है।
पदक से चूके बिंद्रा, दूसरा ओलंपिक पदक जीतने का सपना टूटा

पदक से चूके बिंद्रा, दूसरा ओलंपिक पदक जीतने का सपना टूटा

भारत के स्टार निशानेबाज अभिनव बिंद्रा की दूसरा ओलंपिक पदक जीतने की उम्मीद टूट गयी, वह रियो ओलंपिक खेलों के तीसरे दिन पुरूष वर्ग की 10 मीटर एयर राइफल स्पर्धा में तनावपूर्ण शूट ऑफ में करीब से पदक से चूक गये।
बिंद्रा 10 मी एयर राइफल फाइनल्स में, नारंग बाहर

बिंद्रा 10 मी एयर राइफल फाइनल्स में, नारंग बाहर

भारत के स्टार निशानेबाज अभिनव बिंद्रा ने आज यहां ओलंपिक खेलों के तीसरे दिन पुरुषों की 10 मीटर एयर राइफल स्पर्धा के फाइनल के लिए क्वालीफाई किया जबकि गगन नारंग बाहर हो गए।
निशानेबाज जीतू राय करेंगे भारतीय अभियान का आगाज

निशानेबाज जीतू राय करेंगे भारतीय अभियान का आगाज

सितारों से सजा भारतीय निशानेबाजी दल शनिवार को रियो ओलंपिक में अपने अभियान का आगाज करेगा और सभी की नजरें फार्म में चल रहे जीतू राय पर होंगी जबकि बीजिंग ओलंपिक स्वर्ण पदक विजेता अभिनव बिंद्रा भी अपने सुनहरे कैरियर को शानदार तरीके से अलविदा कहना चाहेंगे।
मौर्ययुगीन सभ्यता की खोज सुंदरवन में

मौर्ययुगीन सभ्यता की खोज सुंदरवन में

यूनेस्को वर्ल्ड हेरीटेज साइट और गंगा डेल्टा क्षेत्र सुंदरवन में मौर्य युगीन सभ्यता के अवशेष मिल रहे हैं। लगभग 10 हजार वर्ग किलोमीटर में फैला दुनिया के सबसे बड़े मैन्ग्रोव का जंगल क्षेत्र में जो पुरातात्विक अवशेष मिले हैं, उनसे पता चलता है कि मगध का मौर्य शासन इस इलाके तक फैला हुआ था। ईसा पूर्व 322-195 के इन अवशेषों के आधार पर आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया के विशेषज्ञ अनुमान लगा रहे हैं कि अगले 600 वर्षों तक यहां सभ्यता आबाद थी। मौर्य युग के बाद शुंग और गुप्त काल तक यहां सभ्यता आबाद रही।
कहानी - बेआवाज टूटती हैं कोंपलें

कहानी - बेआवाज टूटती हैं कोंपलें

चिरगांव, झांसी, उ.प्र. में जन्म। जवाहर लाल विश्वविद्याल से पीएच.डी। कहीं कुछ और, किशोरी का आसमां, एक न एक दिन और कुल जमा बीस, ये आम रास्ताव नहीं, कितने कठघरे उपन्यारस। एक नई सुबह, हाट बाजार, प्रेम संबंधों की कहानियां, अस्ताचल की धूप कहानी संग्रह। स्त्री विमर्श पर भी काम। सुनो तो सही ( आलोचनात्मंक पुस्तंक) बहेलिया समय में स्त्रीर दो पुस्तकें पुरस्कांर / सम्मारन, युवा लेखन सर्जना पुरस्काधर ( उत्ततर प्रदेश हिंदी संस्थासन द्वारा ), आर्यस्मृसति साहित्यं सम्मा न (किताब घर प्रकाशन) किशोरी का आसमां पर अमृत लाल नागर पुरस्का‍र, कलमकार फाउंडेशन द्वारा अखिल भारतीय कहानी प्रतियोगिता में द्वितीय पुरस्कानर, उत्तपर प्रदेश हिंदी संस्था न द्वारा अस्तााचल की धूप कहानी संग्रह पर सर्जना पुरस्कावर। विभिन्नल विश्वविद्यालयों में कई उपन्या सों और कहानी संग्रहों पर शोध कार्य।
पूरे विश्व के हैं बंसी कौल

पूरे विश्व के हैं बंसी कौल

बंसी कौल ने कला जगत में कई बिरवे रौंपे। ये रौंपे अब वृक्ष बन कर लहलहा रहे हैं। अभिनय की नाल से निकले हजारों खिले हुए कमलों ने उनका नाम रोशन कर दिए। उन्हीं बंसी कौल के रंगकर्म पर हुआ अनूठा कार्यक्रम।
एक जिद, एक आयोजन

एक जिद, एक आयोजन

यदि फिल्मों का खुमार है तो रंगमंच की दीवानगी भी कुछ कम नहीं है। कुछ तो खास है मंच के इन किरदारों में कि दर्शक बेसब्री से चले आते हैं और इंतजार करते हैं, यवनिका के उठने का।
गुप्त मिशन पर दो बार पाक आए थे दिलीप साहबः कसूरी

गुप्त मिशन पर दो बार पाक आए थे दिलीप साहबः कसूरी

अपने जमाने के चर्चित अभिनेता दिलीप कुमार ने भारत सरकार की तरफ से गुप्त मिशन पर दो बार पाकिस्तान का दौरा किया था। यह खुलासा पाकिस्तान के पूर्व विदेश मंत्री खुर्शीद कसूरी ने मुंबई में दिलीप कुमार से मुलाकात के बाद दी।
कोई है, जो सुन रहा है

कोई है, जो सुन रहा है

‘कितने कठघरे’ रजनी गुप्त की नवीनतम पुस्तक है। यह विचलित कर देने वाली पुस्तक है। वस्तुतः यह पुस्तक है ही नहीं, मार्मिक गुहार है। कोई है, जो सुन रहा है ? इसको पढ़ते-पढ़ते अपने निजी घावों के टांके खुलने लगते हैं। न जाने कितने चेहरे हैं जो न्याय मांगने हमारे सामने आ खड़े होते हैं - शंकर गुहा नियोगी, सोनी सोरी, डॉ. विनायक चटर्जी - और वह पत्रकार, जो स्वामी अग्निवेश की मध्यस्थता के आश्वासन पर बस्तर गया था, उसकी हत्या ? ये कुछ नाम हैं, हजारों ऐसे नाम होंगे जो अब याद नहीं।
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