छब्बीस जनवरी 2015 को अपने नाम के परिधान के जरिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा को लुभाने का प्रयास किया था आखिरकार वह परिधान 4 करोड़ 31 लाख रुपये में नीलाम हो गया।
अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा की भारत यात्रा को एक महीने होने को आए मगर ऐसा लगता है कि दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय बातचीत की राह कोई खास आगे नहीं बढ़ सकी है। अब भी दोनों देश सिर्फ बातचीत आगे बढ़ाने की बात ही कर रहे हैं।
आखिरकार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को अपने विवादित 10 लाख रुपये के सूट को तिलांजलि देनी ही पड़ी। प्रधानमंत्री के नाम की पट्टी वाले इस सूट की नीलामी प्रधानमंत्री मोदी को मिले 455 तोहफों के साथ हो रही है।
पिछले महीने नई दिल्ली में हुए उबर बलात्कार मामले में 25 वर्षीय पीडि़ता ने टेक्सी सेवा प्रदाता कंपनी के खिलाफ अमेरिका की एक शीर्ष अदालत में मामला किया है।
यदि किसी कंपनी के कब्जे में 75 हजार करोड़ रुपये की संपत्ति हो और फिर भी सरकार उस कंपनी को महज 1500 करोड़ रुपये में बेच दे तो इसे क्या कहेंगे? भ्रष्टाचार की इस महागंगोत्री को जन्म दिया था आज से करीब 11 साल पहले देश की सत्ता पर काबिज भारतीय जनता पार्टी नीत राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन ने
चुनिंदा नायकों या खलनायकों की भूमिका पर जरूरत से ज्यादा जोर देने के कारण इतिहास का सम्यक विवेचन नहीं हो पाता। जैसे गांधी, नेहरू, पटेल, जिन्ना और माउंटबेटन पर ज्यादा जोर देने से हमें भारत विभाजन के बारे में कई जरूरी प्रश्नों के उत्तर नहीं मिलते। मसलन, देसी मुहावरे में आम जनता को अपनी बात समझाने में माहिर और उनमें आजादी के लिए माद्दा जगाने वाले गांधी अपने तमाम सद्प्रयासों के बावजूद नाजुक ऐतिहासिक मौके पर आम हिंदू-मुसलमान को एक-दूसरे के प्रति सांप्रदायिक दरार से बचने की बात समझाने में क्यों विफल रहे, नोआखली जैसी अपनी साक्षात उपस्थिति वाली जगह को छोडक़र? जिन्ना की महत्वकांक्षा और जिद को कितना भी दोष दें, कलकत्ता और अन्य जगहों का आम मुसलमान क्यों उनके उकसावे पर पाकिस्तान हासिल करने के लिए खून-खराबे पर उतारू हो गया?