Advertisement

Search Result : "अशोक मिश्रा"

आप विधायक ने सिंघल को आतंकी कहा, विधानसभा में हंगामा

आप विधायक ने सिंघल को आतंकी कहा, विधानसभा में हंगामा

विश्व हिंदू परिषद के वरिष्ठ नेता अशोक सिंघल को श्रद्धांजलि देने के मसले पर दिल्ली विधानसभा में बुधवार को जमकर हंगामा हुआ। गत दिवस लंबी बीमारी के बाद सिंघल का गुड़गांव के मेदांता अस्पताल में निधन हो गया था। दिल्ली विधानसभा में हंगामें की वजह रही कि भाजपा नेता विजेंद्र गुप्ता ने विधानसभा में सिंघल को श्रद्धांजलि देने की मांग की। इस पर आम आदमी पार्टी के नेताओं ने हंगामा करना शुरू कर दिया।
विश्‍व हिंदू प‍रिषद के नेता अशोक सिंघल का निधन

विश्‍व हिंदू प‍रिषद के नेता अशोक सिंघल का निधन

राम जन्‍मभूमि आंदोलन के सूत्रधार और हिंदुत्‍ववादी विचारधारा को उभारने में अहम भूमिका निभाने वाले विश्‍व हिंदू परिषद के नेता अशोक सिंघल का गुड़गांव के मेदांता अस्‍पताल में निधन हो गया। वह 89 वर्ष के थे।
सोशल मीडिया पर सिंघल को भाजपा नेताओं की श्रद्धांजलि

सोशल मीडिया पर सिंघल को भाजपा नेताओं की श्रद्धांजलि

विश्व हिंदू परिषद के वरिष्ठ नेता अशोक सिंघल का लंबी बीमारी के बाद मंगलवार को गुड़गांव के मेदांता अस्पताल में निधन हो गया। सोशल मीडिया पर उन्हें और शिवसेना प्रमुख बाल ठाकरे को एक साथ याद किया गया। गौरतलब है कि आज ही के दिन बाल ठाकरे का भी मुंबई में निधन हो गया था। ट्विटर के जरिये अशोक सिंघल को भाजपा नेताओं ने श्रद्धांजलि दी-
किताब वापसी अभियान

किताब वापसी अभियान

किताब वापसी अभियान में दो दर्जन कवि, लेखक एवं कलाकारों का एक दल साहित्यकार अशोक वाजपेयी के वसुंधरा इन्क्लेव,दिल्ली स्थित घर पर शनिवार को सुबह पहुंचा। अभियान की तरफ से तीन लोगों का एक प्रतिनिधि मंडल अशोक वाजपेयी से मिला।प्रतिनिधि मंडल में कवि रसिक गुप्त, विनीत पांडेय और छायाकार आत्माराम शामिल थे। प्रतिनिधि मंडल ने किताब वापसी अभियान की तरफ से अशोक वाजपेयी की लिखी हुई एक किताब उनके द्वारा अकादेमी पुरस्कार वापसी के प्रतिकात्मक विरोध में उन्हें वापस की।
सभी युद्धों को मिलाकर जितने मरे उससे अधिक मधुमेह से मर गए

सभी युद्धों को मिलाकर जितने मरे उससे अधिक मधुमेह से मर गए

हिंदुस्तान को पूरी दुनिया में मधुमेह या डायबिटीज राजधानी कहते हैं और इसे कलंक का यह तमगा यूं ही नहीं मिल गया है। हकीकत यह है कि दुनिया भर में करीब 34 करोड़ लोग मधुमेह से ग्रस्त हैं। इसमें भी 20 फीसदी यानी करीब 7 करोड़ मरीज अकेले भारत में हैं। यह आंकड़ा देश की कुल जनसंक्चया का करीब 3 फीसदी है। मधुमेह को बाकी बीमारियों की गंगोत्री कह सकते हैं। इससे पीड़ित होने के बाद अन्य गंभीर बीमारियों की चपेट में में आना महज वक्त की बात होती है।
खट्टर सरकार में खेमका को राहत, आरोपपत्र हटा

खट्टर सरकार में खेमका को राहत, आरोपपत्र हटा

वरिष्ठ आईएएस अधिकारी अशोक खेमका को राहत देते हुए हरियाणा की भाजपा सरकार ने उनके खिलाफ आरोपपत्र हटा दिया जिसमें पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार ने उनपर अपने अधिकार क्षेत्र से बाहर जाने का आरोप लगाया था क्योंकि खेमका ने सोनिया गांधी के दामाद रॉबर्ट वाडा के स्वामित्व वाली एक कंपनी और रियल्टी कंपनी डीएलएफ के बीच एक भूमि सौदे का दाखिल खारिज रद्द कर दिया था।
महिला से बदसलूकी मामले में अमित मिश्रा गिरफ्तार, जमानत मिली

महिला से बदसलूकी मामले में अमित मिश्रा गिरफ्तार, जमानत मिली

एक महिला के साथ कथित बदसलूकी और गाली गलौच करने के मामले में क्रिकेटर अमित मिश्रा को आज बेंगलुरू पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया। करीब तीन घंटे की कड़ी पूछताछ के बाद मिश्रा की गिरफ्तारी हुई लेकिन बाद में उन्‍हें जमानत पर रिहा कर दिया गया ।
धनतेरस पर मिलेंगे अशोक चक्र वाले 'स्‍वदेशी' सोने के सिक्‍के

धनतेरस पर मिलेंगे अशोक चक्र वाले 'स्‍वदेशी' सोने के सिक्‍के

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज आकाशवाणी पर अपने मन की बात कार्यक्रम में बताया है कि सरकार जल्‍द ही स्‍वदेशी सोने के सिक्‍के लाने जा रही है। इन सिक्‍कों पर अशोक चक्र की छाप होगी। पीएम मोदी 5 नवंबर को 5 और 10 ग्राम वाली भारतीय स्‍वर्ण मुद्रा को लांच करेंगे।
कल शृंखला बचाने उतरेगा भारत, धोनी की राह में कई मुश्किलें

कल शृंखला बचाने उतरेगा भारत, धोनी की राह में कई मुश्किलें

दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ कल चेन्नई में होने वाला चौथा एकदिवसीय मैच कप्तान महेंद्र सिंह धोनी के लिए कई मोर्चों पर चुनौतीपूर्ण साबित होगा। अपने कॅरिअर के सबसे उलझन भरे दौर से गुजर रहे धोनी को तय करना होगा कि बल्लेबाजी क्रम क्या रखा जाए और किन गेंदबाजों के दम पर शृंखला के इस कठिन दौर से उबरा जाए क्योंकि ज्यादातर बल्लेबाज आउट ऑफ फॉर्म चल रहे हैं और भारतीय गेंदबाजी की अपनी मुश्किलें हैं।
ऐतिहासिक मुकाम, लेखकों के इस्तीफे का बवंडर

ऐतिहासिक मुकाम, लेखकों के इस्तीफे का बवंडर

देश के सभी कोनों से, सभी भाषाओं में एक ही आवाज उठ रही है। यह अपने आप में ऐतिहासिक परिघटना है। इससे पहले इस देश में इतने बड़े पैमाने पर लेखकों-साहित्यकारों-रंगकर्मियों ने एक साथ एक ही मुद्दे पर मिलकर आवाज नहीं उठाई थी। वे सब अलग-अलग राज्यों से, अपनी-अपनी भाषाओं में एक ही स्वर बोल रहे हैं।
Advertisement
Advertisement
Advertisement