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Search Result : "आरएसएस दफ्तर"

एक झपकी और पलक झपकते काम

एक झपकी और पलक झपकते काम

दफ्तर में यदि कर्मचारी एक झपकी ले सकें तो वे पलक झपकते ही कोई भी काम कर सकते हैं। एक अध्ययन बताता है कि दफ्तर में झपकी लेने वाले ज्यादा काम करते हैं।
ऐसे बहुत आगे नहीं जाएगी मोदी सरकार: चिदंबरम

ऐसे बहुत आगे नहीं जाएगी मोदी सरकार: चिदंबरम

संप्रग सरकार के दौरान सोनिया गांधी के संविधानेतर शक्ति होने के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के आरोपों को खारिज करते हुए कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी चिदंबरम ने भाजपा और उसके नेतृत्व वाली सरकार का संचालन आरएसएस और उनके घातक छिपे एजेंडे के अनुरूप होने का आरोप लगाया है।
धार्मिक असहिष्‍णुताः अमेरिकी रिपोर्ट पर भड़की मोदी सरकार

धार्मिक असहिष्‍णुताः अमेरिकी रिपोर्ट पर भड़की मोदी सरकार

अमेरिकी कांग्रेस की ओर से गठित एक आयोग ने कहा है कि साल 2014 में भारत में मोदी सरकार के सत्ता संभालने के बाद धार्मिक अल्पसंख्यकों को हिंसक हमलों, जबरन धर्मांतरण और घर वापसी जैसे अभियानों का सामना करना पड़ा है। हालांकि, भारत सरकार ने इस पर कड़ा एेतराज जताते हुए इसे खारिज कर दिया है। लेकिन मोदी राज में विश्‍व मंच पर भारत की छवि चमकने के दावों को तगड़ा झटका लगा है।
सांप्रदायिक खतरे से मुकाबला करने के लिए वाम दलों ने हाथ मिलाए

सांप्रदायिक खतरे से मुकाबला करने के लिए वाम दलों ने हाथ मिलाए

वाम दलों ने भाजपा..आरएसएस गठजोड़ के कार्पोरेट-सांप्रदायिक अभियान का साथ मिलकर विरोध करने का फैसला किया ताकि आने वाले दिनों में देश भर में एकजुट होकर जन आंदोलन शुरू किए जा सकें।
कुंवारों का क्लब है संघ-ओवैसी

कुंवारों का क्लब है संघ-ओवैसी

ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुसलमीन (एमआइएम) नेता अकबरुद्दीन ओवैसी ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) को कुंआरों का क्लब करार दिया है। उन्होंने कहा है कि दूसरों से ज्यादा बच्चे पैदा करने की बात कहने वाले लोगों को ऐसा करने का कोई हक नहीं है क्योंकि वे खुद शादीशुदा नहीं होते।
क्या बदल गये हैं मोदी

क्या बदल गये हैं मोदी

देश में अल्पसंख्यक समुदाय पर हमले की घटनाओं के बीच मंगलवार को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने धार्मिक कट्टरता के ख़िलाफ़ एक लंबा भाषण दिया। प्रधानमंत्री मोदी ने दिल्ली के विज्ञान भवन में हुए एक राष्ट्रीय समारोह में अपने विचार व्यक्त किये।
ईसाई संस्था पर फिर हमला

ईसाई संस्था पर फिर हमला

दिल्ली में अल्पसंख्यक संस्थाओं पर एक के बाद एक हमले हो रहे हैं। लेकिन केन्द्र सरकार और दिल्ली पुलिस जबानी जमा ख़र्च के अलावा कुछ नहीं कर रही है। पुलिस अब तक हमलावरों का पता लगाने में नाकाम रही है।
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