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सियाचिन हिमस्खलन में जीवित बचे सैनिक को देखने गए पीएम

सियाचिन हिमस्खलन में जीवित बचे सैनिक को देखने गए पीएम

सियाचिन में हुए हिमस्खलन में भारी बर्फ के नीचे छह दिनों तक दबे रहने के बाद चमत्कारिक रूप से जीवित निकले लांस नायक हनुमनथप्पा को देखने आज प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी आर्मी अस्पताल गए। हनुमनथप्‍पा को सिया‍चिन से विशेष एयर एंबुलेंस के जरिए दिल्ली लाया गया था।
निजी अस्पतालों में सीजेरियन डिलीवरी सरकारी से दोगुनी ज्‍यादा

निजी अस्पतालों में सीजेरियन डिलीवरी सरकारी से दोगुनी ज्‍यादा

राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण के मुताबिक, देश के निजी अस्पतालों में सीजेरियन डिलीवरी के मामलों की संख्या सरकारी संस्थानों में होने वाली डिलीवरी की संख्या के दोगुने से ज्यादा है।
भारत में 3.23 लाख कारें वापस मंगाएगी फॉक्सवैगन

भारत में 3.23 लाख कारें वापस मंगाएगी फॉक्सवैगन

जर्मनी की वाहन कंपनी फॉक्सवैगन भारत में 3.23 लाख वाहनों को वापस मंगाएगी। सरकार ने कंपनी के वाहनों की जांच का आदेश दिया था और जांच में पाया गया कि कंपनी ने डीजल वाहनों में उत्सर्जन परीक्षण को चकमा देने वाला उपकरण लगा रखा था।
चेहरे नहीं अभिव्यक्ति पर कालिख

चेहरे नहीं अभिव्यक्ति पर कालिख

देश के पूर्व उपप्रधानमंत्री और बाबरी मस्जिद के खिलाफ उग्र राष्ट्रव्यापी मंदिर आंदोलन चलाने वाले लालकृष्ण आडवाणी का मानना है कि देश में असहिष्णुता का माहौल बढ़ रहा है। यह लोकतंत्र की भावना के विपरीत है। इस टिप्पणी का संदर्भ भी कम दिलचस्प नहीं है।
कुलकर्णी पर स्याही फेंकने वालों को उद्धव ठाकरे ने दी शाबाशी

कुलकर्णी पर स्याही फेंकने वालों को उद्धव ठाकरे ने दी शाबाशी

भाजपा के पूर्व नेता सुधींद्र कुलकर्णी के चेहरे पर सोमवार को कालिख पोतने वाले शिवसेना कार्यकर्ताओं को उद्धव ठाकरे ने घर बुलाकर शाबाशी दी है।
मोदी सरकार के लिए नए आतंकी मोर्चे का पाठ

मोदी सरकार के लिए नए आतंकी मोर्चे का पाठ

27 जुलाई, 2015 दो झटके लेकर आया। पंजाब के गुरदासपुर में आतंकी हमला और पूर्व राष्ट्रपति 'मिसाइलमैन’ अब्दुल कलाम का निधन। कलाम का जाना एक दौर का अवसान था जबकि गुरदासपुर हमले की घटना आतंक के एक नए मोर्चे की शुरुआत।
प्रफुल्ल बिदवईः जनपक्षधर पत्रकारिता की मिसाल

प्रफुल्ल बिदवईः जनपक्षधर पत्रकारिता की मिसाल

प्रफुल्ल बिदवई विलक्षण प्रतिभा के धनी पत्रकार, प्रवक्ता, बुद्धिजीवी और कार्यकर्ता थे। उनका अकस्मात हमारे बीच से चले जाना जनतांत्रिक, धर्मनिरपेक्ष और शांति आंदोलनों के लिए एक बड़ा झटका है। आज के विपरीत समय में अपनी बेबाक शैली, सुव्यवस्थित विश्लेषण और दुस्साहस के स्तर तक जोखिम उठाने की क्षमता के चलते वे अनेक युवा और आदर्शवादी पत्रकारों के प्रेरणास्रोत रहे। उनकी वैज्ञानिक और संपूर्ण दृष्टि तथा ऐतिहासिक बोध, उनकी विश्लेषण क्षमता का मूल मंत्र रहा। इसी ने उन्हें हमेशा खास बनाए रखा और जीवनभर उनकी लेखनी की चमक यूं ही बनी रही।
मौजूदा सरकार में विज्ञान की नासमझी: पीएम भार्गव

मौजूदा सरकार में विज्ञान की नासमझी: पीएम भार्गव

वह उम्र के उस पड़ाव में हैं, जहां कांपते हाथों के साथ लड़खड़ाती जुबान से लोग अपने बीते दिनों की उपलब्धियों को गिनते-गिनवाते हैं लेकिन उनका मामला अलग है। वह खुद ही पूछते हैं, बताओ मेरी उम्र कितनी है, फिर मेरे मौन को मेरी दुविधा समझकर खुद ही जवाब देते हैं, 86 साल। नहीं लगता न, अगर ये पार्किंसंस (हाथों-पैरों के स्वत: हिलने की बीमारी) न परेशान करता तो शायद बिल्कुल भी न लगता। पुष्प मित्र भार्गव (पी.एम.भार्गव) देश के आला वैज्ञानिक, बायोलॉजिस्ट हैं। उन्हें इस बात की फिक्र है कि अगर देश में जीन संवद्धित (जीएम) फसलों को मंजूरी मिल गई तो इससे किस तरह न सिर्फ पर्यावरण, खेती को नुकसान होगा बल्कि आने वाली पीढ़ियों को नुकसान होगा।
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