सिनेमा को चाहने वाले इस साल दिग्गज फिल्मकार सत्यजित रे की पहली फिल्म पाथेर पांचाली के साठ साल पूरा होने का जश्न मना रहे हैं। इसी बीच रे की भारत में कम और यूरोप-अमेरिका में ज्यादा सराही गई फिल्म अरण्येर दिन रात्रि पर एक डॉक्यूमेंट्री रिवाइविंग इमेजरी सामने आई है। पिछले दिनों रांची, झारखंड में इसका प्रीमियर हुआ।
लखनऊ के फोटो जर्नलिस्ट आशुतोष त्रिपाठी के कैमरे से ली गईं कुछ तस्वीरों ने न सिर्फ एक बुजुर्ग टाइपिस्ट को इंसाफ दिलाया बल्कि सोशल मीडिया की ताकत का भी अहसास करा दिया। पूरी ईमानदारी और साहस से अपना फर्ज निभाने वाले आशुतोष के जज्बे की भी खूब तारीफ हो रही है।
गोरखपुर के रहने वाले राजेंद्र सिंह बीएसएफ के जवान हैं। उनका बेटा प्रदीप स्कूल की छुट्टियां होने के कारण कानपुर घूमने गया। कानपुर से वापसी के दौरान वह ट्रेन से कहीं लापता हो गया। बड़ी कोशिशों के बाद भी प्रदीप का कुछ पता नहीं चला। कानपुर जीआरपी ने पंद्रह दिन के बाद गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज की। लेकिन आगे कोई कार्रवाई नहीं हुई।
आरजीवी यानी रामगोपाल वर्मा यानी रामू ने ट्वीट किया और कहा है कि पोर्न वेबसाइट पर प्रतिबंध लगाने की आलोचना की है। रामू ने अपने ट्वीट में कहा कि यह ऐसा ही है जैसे सड़क पर चलने पर ट्रैफिक पर प्रतिबंध लगा दिया जाए क्योंकि इससे दुर्घटना होती है।
व्यापमं को घोटाला कहा जाए या डेथ-ट्रैप यानी मौत का जाल या फिर मौत का बरमूडा त्रिकोण...। एक बात साफ है कि इसके पास जाने वाले या इसमें शामिल लोगों की मौतों का आंकड़ा जिस तेजी से बढ़ा, उसने इसे भारत के सबसे रहस्यमय खौफनाक घोटाले में तब्दील कर दिया। ऐसा रहस्य जो बड़ी-बड़ी आपराधिक गाथाओं को मात देने को आतुर हो।
शाहजहांपुर के पत्रकार जगेन्द्र सिंह ने अपने मृत्युपूर्व बयान में खनन माफिया, स्मैक तस्करी और बलात्कार व हत्या आरोपी उत्तर प्रदेश के पिछड़ा वर्ग कल्याण राज्यमंत्री राममूर्ति सिंह वर्मा के इशारे पर पुलिस द्वारा उन्हें जिंदा जलाने की बात कही थी। इस घटना ने पूरे देश को सकते में डाल दिया है। लेकिन मामले में नामजद होने के बावजूद अभी तक मंत्री राममूर्ति सिंह वर्मा को गिरफ्तार नहीं किया गया है। आखिरकार जगेन्द्र की मौत के जिम्मेदार लोगों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग करते हुए उनके पूरे परिवार को अनिश्चितकालीन अनशन पर बैठने को मजबूर होना पड़ा। परिवार के सदस्यों का आरोप है कि राज्यमंत्री राममूर्ति वर्मा उन पर मुकदमा वापस लेने का दबाव डलवा रहे हैं।
दिल्ली के अफसरों की लगाम किसके हाथ में रहेगी, इस मुद्दे पर दिल्ली सरकार और उप राज्यपाल के बीच टकराव तेज होता जा रहा है। बुधवार को दिल्ली के उप मुख्यमंत्री मनीष सिसौदिया और आम आदमी पार्टी के नेता आशुतोष ने दिल्ली में ट्रांसफर-पोस्टिंग इंडस्ट्री पर निशाना साधा है। सिसौदिया का कहना है कि ईमानदार अफसरों की नियुक्ति से ट्रांसफर इंडस्ट्री चलाने वाले लोगों को दर्द हो रहा है। इस मसले में उन्होंने रिटायर्ड आईएएस अफसरों को भी आड़े हाथों लिया है।