असम के मुख्यमंत्री तरुण गोगोई इस बार वोट मांग नहीं रहे बल्कि दे रहे हैं। संगीत के एक टीवी इंडियन आइडल जूनियर सीजन – 2 में असम से एक प्रतिस्पर्धी नाहिद आफरीन के लिए गोगोई ने वोट किया।
दिल्ली उच्च न्यायालय ने बालीवुड फिल्म ग्रैन्ड मस्ती के टेलीविजन प्रीमियर पर आज रोक लगा दी और कहा कि फिल्म को असीमित लोक प्रदर्शन के लिए सत्यापित नहीं किया गया था और इसका केबल नेटवर्क नियमन कानून के तहत प्रसारण नहीं हो सकता।
सीसीआई ने आज कार कंपनियों को बड़ा झटका देते हुए अपने एक आदेश में हुंडई मोटर इंडिया पर भारी जुर्माना लगाया है। साथ ही कई कंपनियों को प्रतिस्पर्धा रोधी व्यवहारों से बाज आने और कलपुर्जों को खुले बाजार में बेचने की अनुमति देने का आदेश भी दिया ।
दुनिया की शीर्ष 500 कंपनियों की फार्च्यून पत्रिका की सूची में जहां सिर्फ 7 भारतीय कंपनियों जगह बना पाई हैं वहीं चीन की 100 कंपनियां इस सूची में शामिल हैं। बड़ी कंपनियों के मामले में चीन की तुलना सिर्फ अमेरिका से हो सकती है जिसकी 128 कंपनियां इस सूची में हैं।
दिल्ली में क्रिकेट को साफ-सुथरा करने में जुटे एक पूर्व क्रिकेटर से जब आईपीएल की दो टीमों पर लगे प्रतिबंध और उनमें से एक टीम के मालिक और दूसरे के छद्म मालिक पर आजीवन क्रिकेटीय गतिविधियों में शामिल होने पर रोक के बारे में प्रतिक्रिया मांगी तो उनका तल्ख जवाब था, इससे क्या होगा, यहां तो पूरे कुएं में ही भांग घुली है।
भारतीय फुटबाल कप्तान सुनील छेत्री इंडियन सुपर लीग के लिए खिलाडि़यों की पहली नीलामी में सबसे महंगे बिके। उन्हें मुंबई सिटी एफसी ने एक करोड़ 20 लाख रुपये में खरीदा। जबकि यूजेनेसन लिंगदोह और रिनो अंटो को बेसप्राइज से कई गुना अधिक कीमत मिली।
जैसे चीजें चल रही हैं, भारतीय अनुसंधान परिषद का नाम जल्द ही भारतीय इतिहास गोलमाल परिषद कर देना चाहिए। उदाहरण के तौर पर सबसे पहले पहचान की एक गड़बड़ी को लें। भारत के गजट में अधिसूचित किया गया कि किन्हीं वी.वी हरिदास को भारतीय इतिहास अनुसंधान परिषद का नया सदस्य नियुक्त किया गया है जो ‘कालीकट में इतिहास के प्रोफेसर’ हैं। जब इन हरिदास महाशय ने हिचकते हुए आईसीएचआर फोन करके कहा कि वह इससे बहुत सम्मानित महसूस कर रहे हैं, तब पता चला कि यह वह हरिदास नहीं हैं जिनकी अनुशंसा मंत्रालय ने की थी। इतिहास में पीएचडी वी.वी हरिदास मंगलूर विश्वविद्यालय में पढ़ाते हैं। लेकिन यह तो कोई दूसरे पी.टी हरिदास थे जिन्हें परिषद के लिए मनोनीत किया गया था हालांकि वह पी.एच.डी नहीं थे।