भूषण कुमार म्यूजिक वीडियो के सुनहरे दौर को वापस लाने की कोशिश कर रहे हैं। भारतीय संगीत में म्यूजिक वीडियो का दौर बहुत ही जल्दी खत्म हो गया था। अब दोबारा इसके दिन फिरने वाले हैं।
एक बिल्डर से 6 लाख रुपये घूस मांगने के आरोप में मंत्री पद से हटाए गए आम आदमी पार्टी के विधायक आसिम अहमद खान ने आज एक प्रेस कांफ्रेंस आयोजित कर अपने ऊपर लगे आरोपों का जवाब देते हुए पार्टी को ही कटघरे में खड़ा कर दिया।
भ्रष्टाचार और अनैतिकता के आरोपों से घिरे दिल्ली सरकार के मंत्रियों के कारण मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की मुसीबत बढ़ती ही जा रही है। अब अपने खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति मंत्री असीम अहमद खान के भ्रष्टाचार में लिप्त होने के कारण उन्होंने खुद खान को मंत्रिमंडल से बर्खास्त कर मामला सीबीआई को सौंप दिया है।
बॉलीवुड में पहली नजर के प्यार पर बनी फिल्मों की कोई कमी नहीं है। मैडी यानी माधव काबरा (इमरान खान) को पायल (कंगना रणौत) से पहली नजर का प्यार है। बिलकुल इंस्टेंट। मैगी वाला। यहां देखा, वहां प्यार। दिवाने माधव को यह भी मंजूर है कि पायल टाइमपास प्यार करेगी। ठीक है भई। नया जमाना है तो चल जाएगा।
क्रिकेट कूटनीति में दाल नहीं गलती देख अब पाकिस्तान ने भारतीय हॉकी लीग में भागीदारी का प्रस्ताव हॉकी इंडिया के समक्ष रखा है। पाकिस्तान हॉकी फेडरेशन (पीएचएफ) ने हॉकी इंडिया से गतिरोध खत्म करने के लिए बातचीत का प्रस्ताव रखा है। पिछले साल चैंपियंस ट्रॉफी में पाकिस्तानी खिलाड़ियों के दुर्व्यवहार के कारण बेशुमार दौलत वाले इंडियन लीग में उनके खिलाड़ियों की हिस्सेदारी प्रतिबंधित कर दी गई थी।
यह तो मानना ही पड़ेगा कि चमत्कार एक ही बार होता है। निर्देशक मुजफ्फर अली ने एक बार उमराव जान बना दी और इसी की बदौलत आज तक उनकी पहचान है। जांनिसार में वह यह जादू दोहरा नहीं पाए हैं।
नेशनल कांफ्रेंस के नेता फारूख अब्दुल्ला को हटाकर उनकी जगह राज्य के खेल मंत्री इमरान अंसानी को जम्मू-कश्मीर क्रिकेट संघ (जेकेसीए) का नया अध्यक्ष चुना गया है। लेकिन इस चुनाव पर अदालत की रोक के चलते अब्दुल्ला जेकेसीए की पिच पर नॉट आउट बने हुए हैं।
टाइमपास पत्नी की भूमिका के बाद टाइम पास प्रेमिका की भूमिका में कंगना रणौत हाजिर हैं। बस इसके लिए दर्शकों को सितंबर तक इंतजार करना होगा। निखिल आडवाणी की रोमांटिक कॉमेडी कट्टी बट्टी में कंगना इस बार बांके छोरे इमरान खान के साथ जोड़ी जमा रही हैं।
यह तो तय है कि फिल्मकार पुरानी जड़ों की ओर लौट रहे हैं। 60-70 के दशक की ‘परंपराएं’ और ‘संस्कार’ उन्हें लुभा रहे हैं। हमारी अधूरी कहानी इस बात के प्रमाण देती है। एक प्रेम कहानी को फिल्माने के हजारों तरीके होते हैं। फिर भी यह तरीके तयशुदा ही है। दो नायक एक नायिका वाला यह त्रिकोण भी ऐसा ही है।