महिला को सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र बरही ले जाने के लिए उसका पति स्वास्थ्य केंद्र से करीब डेढ़ घंटे तक गुहार लगाता रहा। महिला के परिजनों ने आरोप लगाया कि महिला को एंबुलेंस नहीं मिली।
उत्तर प्रदेश के सरकारी अस्पतालों में अव्यवस्था को लेकर असुविधा से जूझ रहे मरीजों की की पोल खुलती जा रही है। इस बार सीएम योगी के यूपी में सरकारी अस्पताल की अव्यवस्था का किस्सा एक ऐसे अस्पताल का है, जहां प्रसव पीड़ा से जूझ रही महिला को एंबुलेंस सेवा नहीं मिली और बाद में उसे निजी वाहन से सहारनपुर ले जाना पड़ा।
उत्तर प्रदेश के कौशाम्बी में मानवता एक बार फिर शर्मसार हुई। जिला अस्पताल में शव वाहन न मिलने के कारण मामा को सात महीने की भांजी का शव साइकिल पर ही घर लाना पड़। लगातार बढ़ती इस तरह की घटनाएं व्यवस्था की संवेदनहीनता को उजागर करती हैं।
उत्तरप्रदेश के कौशांबी जिले से मानवता को शर्मसार करने वाली खबर आ रही है। अस्पताल प्रशासन ने पैसे के बिना पत्नी का शव ले जाने के लिए पति को एंबुलेंस नहीं दी। पति को मजबूरन पत्नी का शव स्ट्रेचर पर रख कर घर ले जाना पड़ा।
स्वास्थ्य सेवाओं की बदहाली का आलम आज भी जस की तस है जबकि उत्तर प्रदेश की सत्ता अखिलेश सरकार से होकर योगी आदित्यनाथ के पास पहुंच चुकी है। इस दौरान सरकार बदलाव के तमाम बड़े दावे करे, लेकिन एक आम आदमी के द्वारा शव को अपने कंधे पर उठाकर ले जाना सभी दावों को ढेर करता दिख रहा है।
उत्तर प्रदेश की चिकित्सा व्यवस्था का हाल बेहाल है। यहां कमजाेेर तबके के अलावा अन्य वर्गों के लोगों को भी बदहाल चिकित्सा व्यवस्था का शिकार होना पड़ता है। ताजा वाकया है अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी का, जहां के एक प्राेफेसर की समय पर एंबुलेंस नहीं मिलनेे पर मौत हो गई।
एंबूलेंस नहीं देने के बाद ओडिशा के कालाहांडी में पत्नी की लाश को 10 किलोमीटर तक कंधे पर ढोने के मामले पर अभी भी बहस जारी है, इसी बीच इसी तरह का एक और प्रकरण सामने अाया है। राज्य के बालासोर में अस्पताल से एंबुलेंस नहीं मिलने के बाद महिला के मृत शरीर की हड्डियां तोड़ उसकी गठरी बनाकर बांस के डंडे और मजदूरों के जरिये उसे ढोकर स्टेशन तक पहुंचाया गया।