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क्या रहस्‍यमय एक्स-फैक्टर है गंगाजल की खासियत?

क्या रहस्‍यमय एक्स-फैक्टर है गंगाजल की खासियत?

क्या गंगाजल को खास बनाने के पीछे इसमें मौजूद किसी विशेष एक्स फैक्टर का योगदान है? गंगा निश्चित तौर पर भारत की सबसे पवित्रतम नदियों में से एक है और अनंतकाल से इसके जल को इसके जादुई गुणों के लिए जाना जाता है। इसी खूबी के चलते यदि गंगाजल वर्षों तक रखा जाए, तो भी यह खराब नहीं होता। इसे इस नदी का आत्म-शोधन का गुण कहा जाता है। भारतीय वैज्ञानिक इसी रहस्‍य से पर्दा उठाने की कोशिश में जुटे हैं।
न्यूजX में पीटर-इंद्राणी के कारनामे भी कम रहस्‍यमय नहीं

न्यूजX में पीटर-इंद्राणी के कारनामे भी कम रहस्‍यमय नहीं

पीटर और इंद्राणी मुखर्जी के न्यूज एक्स चैनल से रूखसत लेने से कुछ दिन पहले न्यूज रूम में घबराहट तारीं थी। भारत के इस पहले उच्च परिभाषा वाले खबरिया चैनल की स्थापना मुखर्जी दंपति ने सिलसिलेवार संदिग्ध सौदों के जरिये की थी। हवा में यह बात गूंज रही थी कि न्यूज एक्स का पैसा खत्म हो गया है और उसका प्रसारण बंद होने वाला है।
समीक्षा- मि. एक्स

समीक्षा- मि. एक्स

किसी साधारण बात को खास बनाने की जो भी संभव कोशिश हो सकती है, विक्रम भट्ट ने की है। थ्रीडी चश्मा, गायब होने वाला नायक, अंग्रेजी फिल्मों की तरह मारधाड़, विज्ञान के (कृपया बेतुका पढ़ें) चमत्कार आदि-आदि। फिर भी बेचारे दर्शक को समझ नहीं आता कि छोटे और ग्लैमरस कपड़ों में सिया वर्मा (अमायरा दस्तूर) दरअसल कैसी वाली पुलिस बनी हैं। रघु राठौर (इमरान हाशमी) पता नहीं कैसे सुपरकॉप बनें हैं जो न पहले अपने पुलिसिए बॉस का खुरपेंची दिमाग समझ पाए न बाद में अपनी पुलिसिया गर्लफ्रैंड का। मतलब दो-दो बार धोखा।
आइएएस ने महिला सचिव पर फेंकी फाइल

आइएएस ने महिला सचिव पर फेंकी फाइल

एक वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी ने अपने कार्यालय में अपनी निजी सचिव के चेहरे पर फाइल को फैंका। वह महिला इस कदर परेशान और आहत हुई कि वह बेहोश हो गई।
जवाबदेही के जुए से कतराती नौकरशाही

जवाबदेही के जुए से कतराती नौकरशाही

सूचना के अधिकार कानून के क्रियान्वयन पर अभी चार अध्ययन आए हैं। दो गैर सरकारी, परिवर्तन और सूचना के जनाधिकार पर राष्‍ट्रीय अभियान द्वारा, और दो सरकारी, केंद्रीय सूचना आयोग की कमेटी और स्वयं भारत सरकार के कार्मिक मंत्रालय द्वारा। सभी की रिपोर्ट के अनुसार सूचना का अधिकार सक्षमता से लागू करने में मुख्य बाधा अपर्याप्त क्रियान्वयन, कर्मचारियों के प्रशिक्षण का अभाव और खराब दस्तावेज प्रबंधन है। किसी ने फाइल देखने की नोटिंग की मांगों और खिझाऊ तथा तुच्छ आवेदनों के कारण नहीं माना है। फिर भी कार्मिक मंत्रालय नौकरशाही के दबाव में इनसे संबंधित लाना चाहता है तो उसकी मंशा पर शक होता है वही कार्मिक मंत्रालय जिसका अपना अध्ययन बताता है कि अभी देश के सिर्फ 15 प्रतिशत लोगों को सूचना के अधिकार के कानून की जानकारी है और 85 प्रतिशत लोगों को नहीं। यानी नौकरशाही अभी भी सिर्फ 15 प्रतिशत भारतीयों के प्रति जवाबदेह होने से भी कतरा रही है। और परिवर्तन की रिपोर्ट के अनुसार इन 15 प्रतिशत में सिर्फ एक-चौथाई यानी 27 फीसदी ही संतोषप्रद सूचना हासिल कर पाते हैं।
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