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'कोर्ट के फैसले से पहले लखवी के बारे में न बनाएं राय'

'कोर्ट के फैसले से पहले लखवी के बारे में न बनाएं राय'

पाकिस्तान ने कहा कि मुंबई पर आतंकी हमले के मुख्य साजिशकर्ता जकिउर रहमान लखवी से जुड़े मामले में भारत को समय से पहले कोई निष्कर्ष नहीं निकालना चाहिए, क्योंकि मामला अदालत के अधीन है।
हाशिमपुरा फैसले के खिलाफ मुखर हुआ क्षोभ

हाशिमपुरा फैसले के खिलाफ मुखर हुआ क्षोभ

हाशिमपुरा फैसले के खिलाफ मुखर हुआ हाशिमपुरा में २८ साल पहले पीएसी द्वारा मारे गए लोगों पर आए अदालती फैसले के खिलाफ गोलबंदी तेज। पीड़ितों के साथ अन्य संगठनों ने बैठकों, प्रदर्शनों का सिलसिला शुरू
कोर्ट के साइबर फैसले से नागरिक गौरवान्वित

कोर्ट के साइबर फैसले से नागरिक गौरवान्वित

यह आम बात हो गई है कि भारत के राजनीतिज्ञ कठोर राजनीतिक फैसले लेने से कतराते हैं और उन्हें अदालत के भरोसे छोड़ देते हैं। राजनैतिक, कार्यकारी और विधायी जिम्मेदारियों से यह पलायन ही न्यायिक सक्रियतावाद को जन्म देता है।
सरकार के फैसले को जिंदल पॉवर ने दी चुनौती

सरकार के फैसले को जिंदल पॉवर ने दी चुनौती

जिंदल स्टील एंड पॉवर लिमिटेड ने केंद्र के उस फैसले के खिलाफ दिल्ली उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया जिसके तहत उसके द्वारा नीलामी में जीती गई दो कोयला ब्लॉकों की नीलामी को रद्द करने का फैसला किया गया है।
मीडिया से प्रभावित होते हैं कोर्ट के फैसले?

मीडिया से प्रभावित होते हैं कोर्ट के फैसले?

दिल्ली उच्च न्यायालय ने 16 दिसंबर सामूहिक बलात्कार मामले में विवादास्पद डॉक्यूमेंट्री के प्रसारण पर टिप्पणी करते हुए आज कहा कि मीडिया ट्रायल के जरिए दबाव बनाना न्यायाधीशों को प्रभावित करने की प्रवृति है।
जवाबदेही के जुए से कतराती नौकरशाही

जवाबदेही के जुए से कतराती नौकरशाही

सूचना के अधिकार कानून के क्रियान्वयन पर अभी चार अध्ययन आए हैं। दो गैर सरकारी, परिवर्तन और सूचना के जनाधिकार पर राष्‍ट्रीय अभियान द्वारा, और दो सरकारी, केंद्रीय सूचना आयोग की कमेटी और स्वयं भारत सरकार के कार्मिक मंत्रालय द्वारा। सभी की रिपोर्ट के अनुसार सूचना का अधिकार सक्षमता से लागू करने में मुख्य बाधा अपर्याप्त क्रियान्वयन, कर्मचारियों के प्रशिक्षण का अभाव और खराब दस्तावेज प्रबंधन है। किसी ने फाइल देखने की नोटिंग की मांगों और खिझाऊ तथा तुच्छ आवेदनों के कारण नहीं माना है। फिर भी कार्मिक मंत्रालय नौकरशाही के दबाव में इनसे संबंधित लाना चाहता है तो उसकी मंशा पर शक होता है वही कार्मिक मंत्रालय जिसका अपना अध्ययन बताता है कि अभी देश के सिर्फ 15 प्रतिशत लोगों को सूचना के अधिकार के कानून की जानकारी है और 85 प्रतिशत लोगों को नहीं। यानी नौकरशाही अभी भी सिर्फ 15 प्रतिशत भारतीयों के प्रति जवाबदेह होने से भी कतरा रही है। और परिवर्तन की रिपोर्ट के अनुसार इन 15 प्रतिशत में सिर्फ एक-चौथाई यानी 27 फीसदी ही संतोषप्रद सूचना हासिल कर पाते हैं।