बिहार में सत्ता का संघर्ष और तेज हो गया है। एक तरफ जनता दल यूनाइटेड से निकाले गए मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी कुर्सी नहीं छोड़ना चाहते तो दूसरी ओर पूर्व मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने मुख्यमंत्री बनने का दावा ठोक दिया है।
बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री नीतीश कुमार फिर राज्य की कमान संभालने जा रहे हैं। लोकसभा चुनाव में मिली हार के बाद नीतीश ने नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था।
बिहार के मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी ने बगावती रूख अख्तियार कर लिया है। पार्टी के नेतृत्व को नकारते हुए मांझी ने दो टूक कह दिया कि पार्टी के विधायक दल की बैठक बुलाने का अधिकार केवल विधायक दल के नेता यानी मुख्यमंत्री को है।
क्या कारण है कि जिस आडवाणी ने पहली बार जनसंघ का अध्यक्ष बनने पर 1973 में एक झटके में बलराज मधोक जैसी मजबूत शख्सियत को पार्टी से जड़ से उखाड़ फेंका, 1974 में जयप्रकाश आंदोलन के उड़ते तीर को पार्टी के लिए पकड़ बाद की इमरजेंसी के प्लावन मं सांप्रदायिकता की अस्पृश्यता धोने में गजब की फुर्ती दिखाई, संघ परिवार के संगठनों द्वारा आजादी के वक्त से ईंट-बैठाकर सुलगाए जा रहे बाबरी-मस्जिद रामजन्म भूमि के मसले को गरमाने के अवसरवादी क्षण को 1990 में विश्वनाथ प्रताप सिंह की सरकार के संकट में अचूक पहचाना, 1996 में भाजपा की सत्ता के लिए अन्य दलों के साथ जरूरी गठजोड़ बनाने के वास्ते खुद पीछे हटकर वाजपेयी को आगे करने की उस्तादी दिखाई, आज वही अपने नेतृत्व में न सहयोगी गठबंधन को उत्साहित कर पाए न अपनी पार्टी की दूसरी प्रांत के नेताओं को?