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कोयला घोटाला : हिंडाल्को मामले में सीबीआइ की जांच पूरी

कोयला घोटाला : हिंडाल्को मामले में सीबीआइ की जांच पूरी

सीबीआई ने विशेष अदालत में कोयला ब्‍्लॉक आवंटन से जुड़े एक मामले में अपनी अंतिम जांच रिपोर्ट पेश कर दी जिस पर 11 मार्च को सुनवाई होगी। इस मामले में पूर्व कोयला सचिव पी सी पारख, हिंडाल्को और अन्य कथित तौर पर संलिप्त हैं।
कंपनियों ने लगायी कोयला खदानों की ऊंची बोली

कंपनियों ने लगायी कोयला खदानों की ऊंची बोली

कोयला खदानों की ‌नीलामी का दौर जारी है और अब तक वेदांता ग्रुप की कंपनी बाल्को ने चोटिया ब्लॉक के लिए 3,025 रुपये प्रति टन की सबसे ऊंची बोली लगाई है। कंपनियां बढ़-चढ़कर बोली लगा रही है ब्लॉक की नीलामी से सरकार को 1.86 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा की आय होने का अनुमान है।
प्रधानमंत्री के प्रधानसचिव पर कोयला घोटाले की आंच

प्रधानमंत्री के प्रधानसचिव पर कोयला घोटाले की आंच

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रधान सचिव नृपेन्द्र मिश्रा की नियुक्ति के लिए केंद्र सरकार ने अध्यादेश लाकर भले कानून बदला पर मिश्रा से संबंधित हितों के टकराव का एक नया विवाद आकार लेता दिख रहा है।
जवाबदेही के जुए से कतराती नौकरशाही

जवाबदेही के जुए से कतराती नौकरशाही

सूचना के अधिकार कानून के क्रियान्वयन पर अभी चार अध्ययन आए हैं। दो गैर सरकारी, परिवर्तन और सूचना के जनाधिकार पर राष्‍ट्रीय अभियान द्वारा, और दो सरकारी, केंद्रीय सूचना आयोग की कमेटी और स्वयं भारत सरकार के कार्मिक मंत्रालय द्वारा। सभी की रिपोर्ट के अनुसार सूचना का अधिकार सक्षमता से लागू करने में मुख्य बाधा अपर्याप्त क्रियान्वयन, कर्मचारियों के प्रशिक्षण का अभाव और खराब दस्तावेज प्रबंधन है। किसी ने फाइल देखने की नोटिंग की मांगों और खिझाऊ तथा तुच्छ आवेदनों के कारण नहीं माना है। फिर भी कार्मिक मंत्रालय नौकरशाही के दबाव में इनसे संबंधित लाना चाहता है तो उसकी मंशा पर शक होता है वही कार्मिक मंत्रालय जिसका अपना अध्ययन बताता है कि अभी देश के सिर्फ 15 प्रतिशत लोगों को सूचना के अधिकार के कानून की जानकारी है और 85 प्रतिशत लोगों को नहीं। यानी नौकरशाही अभी भी सिर्फ 15 प्रतिशत भारतीयों के प्रति जवाबदेह होने से भी कतरा रही है। और परिवर्तन की रिपोर्ट के अनुसार इन 15 प्रतिशत में सिर्फ एक-चौथाई यानी 27 फीसदी ही संतोषप्रद सूचना हासिल कर पाते हैं।
प्रकृति से छीना तो वापस भी करो

प्रकृति से छीना तो वापस भी करो

हिमाचल प्रवास के दौरान कहीं वैसे रसीले आडू भी नहीं दिखे जैसे हमने राज्य में घुसने के ठीक पहले पंचकुला में लिए थे। और लाल-लाल चेरी ने हमें सिर्फ नारकंडा के आसपास राजमार्ग पर लुभाया। पहाड़ी ढलानों पर सेबों के बागान-दर-बागान दिखते चले गए और हम लोगों से पूछते रहे, कहां गए, कहां गए हिमाचल के मशहूर सेब? शायर मिलते तो कह देते, सेबों को किन्नौरी बालाओं के रुखसार की रंगत में देखिए। लेकिन हमें पता चला, हिमाचल में इस बार फलों की पैदावार में जबर्दस्त गिरावट आई है। फलों में वहां मुख्य पैदावार सेब और नाशपाती की होती है और इन दोनों का उत्पादन इस वर्ष 50-60 प्रतिशत कम हुआ है।
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