हंदवाड़ा में जिस लड़की के साथ कथित छेड़छाड़ के बाद शुरू हुए झड़प में 6 लोगों की जान चली गई, उसका शनिवार की शाम मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट के समक्ष बयान दर्ज कराया गया।
ताउम्र ‘खूबसूरत‘ बने रहने की चाहत भला किस महिला को नहीं होती और यह खूबसूरती लोगों को इतनी भाती है कि इस सुंदरता पर न जाने कितने शायरों व कवियों ने किताबें लिख डाली है। भले ही कोई कितना भी खूबसूरत क्यों न हो, समय के साथ खूबसूरती भी ढ़लती है। जब भी शीशे में शरीर पर उम्र ढ़लने के लक्षण नज़र आने लगते है तो चेहरे पर एक अजीब सी चिंता उभर आती है। सभी खूबसूरत, खुशहाल, सम्मानित और बेहद संजीदातरी केसे अपनी जिंदगी जीना चाहते है।
कश्मीर घाटी में पृथकतावादी संगठनों द्वारा बुलाई गई हड़ताल की वजह से सामान्य जनजीवन बुरी तरह प्रभावित हुआ। जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में अफजल गुरू प्रकरण के बाद दिल्ली विश्वविद्यालय के पूर्व प्रोफेसर एस ए आर गिलानी और जेएनयू छात्रों को देशद्रोह के आरोपों में गिरफ्तार किए जाने के खिलाफ इस हड़ताल का आह्वान किया गया है।
ब्रिटेन के राजकुमार विलियम और उनकी पत्नी केट मिडलटन अपने पहले दौरे पर 10 अप्रैल को भारत पहुंच रहे हैं। अपनी यात्रा के दौरान उनका प्रेम की खूबसूरत निशानी ताज महल का भी दीदार करने का कार्यक्रम है।
गुलमर्ग और पहलगाम के पर्यटक रिसॉर्ट सहित कश्मीर के ऊंचाई वाले कई इलाकों में ताजा बर्फबारी हुई जबकि घाटी के मैदानी इलाकों में बारिश हुई है। मौसम विभाग ने यहां पर अगले दो दिनों तक मौसम गीला रहने का अनुमान व्यक्त किया है।
दिल को छू लेने वाली कश्मीरियत की मिसाल कायम करते हुए दक्षिण कश्मीर में कुलगाम जिले के एक गांव के मुसलमानों ने एक कश्मीरी पंडित का अंतिम संस्कार किया। यह कश्मीरी पंडित आतंकवादियों के खतरे के कारण घाटी छोड़ने की बजाए अपनी जड़ों से चिपका रहा। उसने घाटी छोड़ कहीं और बसने का प्रस्ताव ठुकरा दिया था जबकि उसके सभी परिजन घाटी से पलायन कर गए।
पूर्वोत्तर के बारे में मैं कहना चाहूंगा कि असम एक ऐसा राज्य है, जहां अस्थिरता रही है। 70 के दशक में वहां भारी हंगामा रहा और 80 का दशक आते-आते हंगामा बढ़ता रहा। उसके समाधान के लिए, वहां लोकतंत्र लाने के लिए पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने जो कदम उठाए वह आज तक किसी ने नहीं उठाए। सन 1985 में वहां हंगामा करने वालों की जीत हुई थी, उन्होंने सरकार चलाने की कोशिश की लेकिन उन्होंने असम को बरबाद करके छोड़ दिया। उनमें हुकूमत बनाए रखने की क्षमता नहीं थी। लेकिन यह लोकतंत्र है, यहां जो जनता चाहेगी उसी की सरकार बनेगी। बेहतर प्रदर्शन के आधार पर वोट मिलेंगे। आखिरकार जनता ने सही सरकार चुनी।
आतंकवादियों की धमकियों को नजरअंदाज करके अपनी जड़ों से जुड़े रहने की जिद ठाने 78 वर्षीय कश्मीरी पंडित राम जी कौल की मृत्यु पर उनके पड़ोसी मुसलमानों ने न केवल मातम मनाया बल्कि उनके अंतिम संस्कार में उनके बच्चों का हाथ बंटाकर गम साझा करने की कोशिश की।