देश में दालों की जमाखोरी के खिलाफ हुई सरकार की कार्रवाई में एक नई जानकारी सामने आई है। महाराष्ट्र सरकार ने दालों के जब्त भंडार में से 70 प्रतिशत उनके मूल मालिकों को ही वापस कर दिया।
दालों की बढ़ती कीमतों और दलहन आयात पर अंकुश लगाने के लिए केंद्र सरकार खेसारी दाल पर 55 साल पहले लगा प्रतिबंध हटाने की कवायद में जुट गई है। इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च के एक पैनल ने इस दाल को खाने के लिए सुरक्षित बताया है और बारे में अंतिम फैसला खाद्य नियामक एफएसएसएआई को करना है। लेकिन स्वास्थ्य से जुड़े इस अहम फैसले को लेकर कई सवाल भी खड़े हो रहे हैं।
आम आदमी के निवाले से दूर होती दालों के पीछे जमाखोरी और कालाबाजारी का बड़ा खेल है। देश के कई राज्यों में हुई छापेमारी के दौरान अब तक महाराष्ट्र में सबसे ज्यादा दाल पकड़ी गई है।
दालों की बढ़ती कीमतों के बीच जमाखोरों और कालाबाजारी के खिलाफ राज्यों ने अभियान तेज कर दिया है। पिछले दो-तीन दिन के अंदर 10 राज्यों में छापेमारी के दौरान करीब 35 हजार टन से ज्यादा दाल का स्टॉक पकड़ा गया है। सबसे ज्यादा छापेमारी भाजपा शासित राज्यों में की गई है और यहीं दालों की सबसे ज्यादा मात्रा जमाखोरों से जब्त की गई है।
दाल की जमाखोरी करने वालों के खिलाफ पांच राज्यों में की गयी कार्रवाई में 5,800 टल दालें जब्त की गई है। हालांकि सरकार की तमाम कोशिशों के बावजूद दालों की कीमतों में वृद्धि जारी है और यह 210 रुपये किलो तक पहुंच गई है।
दालों की बढ़ती महंगाई के बीच आज अरहर की दाल का खुदरा भाव सरकारी आंकड़ों में भी 200 रुपये प्रति किलोग्राम तक पहुंच गया है। पिछले साल इस समय अरहर की दाल 85 रुपये किलो थी। दालों की महंगाई पर अंकुश लगाने के सरकार के दावों के बावजूद अरहर की दाल के दाम बढ़ते जा रहे हैं।
कुपोषित बच्चों को आईसीडीएस योजना के तहत अंडा दिए जाने पर विवाद जारी है। मंगलवार को एक कार्यक्रम के दौरान अंडा दिए जाने के विवाद से जुड़े सवाल के जवाब में केंद्रीय मंत्री मेनका गांधी ने कहा कि ‘अंडा दिए जाने की जरूरत नहीं है क्योंकि हमें एक दिन में चार से छह फीसदी प्रोटीन चाहिए होता है जो कि एक रोटी और दाल से मिल जाता है। बशर्ते वह साफ-सुथरा हो। ’