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चर्चाः राजधानी में दादागिरी | आलोक मेहता

चर्चाः राजधानी में दादागिरी | आलोक मेहता

दिल्ली सचमुच निराली है। दुनिया के किसी देश की राजधानी में नेता, अधिकारी, पुलिस, टैक्सी-ऑटो-बस चालक और ढाबा चलाने वाले ऐसी दादागिरी नहीं करते। यहां मुख्यमंत्री केजरीवाल स्वयं मनमाने ढंग से आदेश जारी करते हैं और डेढ़ करोड़ जनता की इच्छा बता देते हैं। सीधे प्रधानमंत्री को चुनौती देते रहते हैं और प्रचार पर पांच सौ करोड़ रुपये खर्च कर देते हैं।
मस्तक पर तिलक, चरणों में गंदगी

मस्तक पर तिलक, चरणों में गंदगी

विजय, सुख, समृद्धि के आशीर्वाद के साथ मस्तक पर तिलक लगा जय-जयकार हुई। गंगा-यमुना सहित अनेक नदियों का जल समेटे विशाल सागर की लहरों से करतल ध्वनि का आभास हुआ। सब हर्ष विभोर हुए। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनके साथ पहुंचे नेता-सहयोगी भी पिछले दिनों जगन्नाथ पुरी मंदिर के दर्शन के बाद दरवाजे पर प्रसन्न मुद्रा में दिखाई दिए। बारहवीं शताब्दी में निर्मित भव्य जगन्नाथ पुरी मंदिर के गर्भगृह में भगवान जगन्नाथ (श्रीकृष्ण) की प्रतिमा वाले गर्भगृह में मरम्मत कार्य की वजह से एक वर्ष के लिए प्रवेश पर रोक लगी हुई है। लेकिन प्रबंध समिति ने महा भक्त नरेंद्र मोदी और उनकी मंडली को गर्भगृह में प्रवेश कर अर्चना एवं आशीर्वाद ग्रहण की अनुमति दे दी।
चर्चा: गंदगी का विश्व रिकॉर्ड | आलोक मेहता

चर्चा: गंदगी का विश्व रिकॉर्ड | आलोक मेहता

बहुत पहले अमेरिकी पत्रिका ने भारत के विकास की खिल्ली उड़ाते हुए बैलगाड़ी में अंतरिक्ष विमान ले जाने वाला एक फोटो छापा था। इसी तरह यूरोप में मुझसे लोग पूछते थे, ‘भारत के लोगों ने कभी रेलगाड़ी या हवाई जहाज देखा है? क्या अधिकांश आबादी छाल-पत्ते लपेटकर रहती है?’ अब ऐसे मजाक का कोई नहीं कर सकता है। अब संपन्न देशों के लोग भारत की प्रगति से चकित हैं और उनका धंधा और सिलीकॉन वैली भारतीयों पर निर्भर रहने लगी है।
बोले प्रणब, असल गंदगी दिमाग में

बोले प्रणब, असल गंदगी दिमाग में

असहिष्णुता पर बढ़ते विवाद के बीच कड़ा संदेश देते हुए राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने आज कहा कि लोगों को अपने मन मस्तिष्क से विभाजनकारी विचारों को हटाना चाहिए तथा सार्वजनिक अभिव्यक्ति को सभी तरह की हिंसा से मुक्त करना चाहिए।
कांवड़ यात्रा से मुसीबत में हरिद्वार की सांसें

कांवड़ यात्रा से मुसीबत में हरिद्वार की सांसें

साल भर पहले डेरा सच्चा सौदा के करीब दस हजार लोगों ने हरिद्वार की यात्रा की थी। ये सभी अपने साथ झाडू़ और साफ-सफाई का सामान लेकर आए थे। इन श्रद्धालुओं ने दिन भर में पूरे हरिद्वार शहर को साफ कर दिया था और शहर से इतना कूड़ा एकत्र किया था कि उसे हटाने में नगर निगम को एक सप्ताह से ज्यादा लग गया था। क्या ऐसी ही उम्मीद कांवड़‍ियों से की जा सकती है?
हम भी दिखाते हैं

हम भी दिखाते हैं

स्वच्छ भारत अभियान के तहत सब कुछ साफ-साफ ही दिखना चाहिए। इसलिए मीडिया पर भी दबाव बनाया जाता है कि वह गंदगी को न दिखाए।
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