कृष्ण और राधा के मिलन, विरह, प्रेम और उपासना को मशहूर कथक नृत्यांगना गौरी दिवाकर ने कथक के जरिये खूबसूरती से पेश किया। इस प्रस्तुती की खास बात यह थी कि यह नृत्य सूफी कवियों की रचनाओं पर किया गया।
केंद्र सरकार ने डीडीसीए मामलों की जांच के लिए दिल्ली की आप सरकार द्वारा गठित जांच आयोग को असंवैधानिक और अवैध घोषित कर दिया है। केंद्र के इस निर्णय से दोनों सरकारों के बीच जारी विवाद के और गहराने की आशंका बढ़ गई है।
पठानकोट एयरफोर्स स्टेशन पर हुए आतंकी हमले से पहले अगवा हुए गुरदासपुर के एसपी सलविंदर सिंह ने अपने ऊपर लग रहे आरोपों पर सफाई दी है। उन्होंने कहा है कि वह इस हमले के पीड़ित हैं न कि संदिग्ध। 31 दिसंबर को गुरदासपुर जिले के एसपी सलविंदर सिंह, उनके दोस्त राकेश और रसोईया मदन गोपाल का उस वक्त अपहरण कर लिया गया था जब देर रात वह एक दरगाह पर माथा टेक कर वापस गुरदासपुर लौट रहे थे।
डीडीसीए ने उसके खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोप लगाने के लि, दिल्ली के मुख्यमंत्रh अरविंद केजरीवाल और निलंबित भाजपा सांसद कीर्ति आजाद और अन्य आप कार्यकर्ताओं पर मानहानि का मामला दर्ज करने का फैसला किया है।
दिल्ली और जिला क्रिकेट संघ के कथित भ्रष्टाचार को लेकर भारतीय जनता पार्टी और आम आदमी पार्टी के बीच चल रही सिेयासत के बीच इस मसले की जांच के लिए गठित गोपाल सुब्रह्मण्यम आयोग ने जांच के लिए और मैन पावर की मांग की है।
दिल्ली सरकार ने ऑटो रिक्शा परमिट जारी करने में भ्रष्टाचार के आरोप में एक डिप्टी कमिश्नर समेत दिल्ली परिवहन विभाग के तीन वरिष्ठ अधिकारियों को निलंबित कर दिया। इन अधिकारियों पर ऑटो परमिट जारी करने में गलत तरीके अपनाने और धांधली करने का आरोप है।
दिल्ली के परिवहन मंत्री गोपाल राय ने एक जनवरी से लागू सम और विषम अंकों वाली गाड़ियों पर नियमों में थोड़ा बदलाव करने की घोषणा की है। नए नियमों के मुताबिक, अब सम और विषम गाड़ियां दिन के हिसाब से नहीं, बल्कि तारीख के हिसाब से चला करेंगी। यानी सम तारीख को सम नंबर की गाड़ियां और विषम तारीख को विषम नंबर की गाड़ियां चला करेंगी।
हिंदी के अनेक दुर्लभ ग्रंथ, पुरानी पुस्तकों की प्रति, पत्रिकाओं की पुरानी फाइलें अब उपलब्ध नहीं हैं। इस कारण देश के विश्वविद्यालयों में शोध कार्य प्रामाणिक ढंग से नहीं हो पाते और साहित्य में ऐतिहासिक तथ्यों को लेकर गड़बड़ियां बनी रहती हैं। इस कमी को देखते हुए राष्ट्रीय पुस्तक न्यास ने सन 1933 में प्रकाशित द्विवेदी अभिनंदन ग्रंथ को दोबारा प्रकाशित कर अच्छा काम किया है। लेकिन जिस तरह हड़बड़ी और असावधानी में यह ग्रंथ प्रकाशित किया गया है उसे लेकर चिंता होती है।