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Search Result : "गोवंशीय पशु"

जो भारत को अपना देश मानते हैं, उन्हें गाय को माता मानना चाहिए: रघुबर दास

जो भारत को अपना देश मानते हैं, उन्हें गाय को माता मानना चाहिए: रघुबर दास

देश में पिछले कुछ दिनों से गाय को लेकर जारी विवाद में अब झारखंड के मुख्यमंत्री रघुवर दास भी कूद पड़े हैं। कोलकाता में गाय के संबंध में बयान देते हुए दास ने कहा कि जो लोग भारत को अपना देश मानते हैं, उन्हें गाय को मां के रूप में मानना चाहिए।
मध्‍यप्रदेश के 'सरकारी संत' बोले, गाय के कारण तीसरा विश्वयुद्ध होगा

मध्‍यप्रदेश के 'सरकारी संत' बोले, गाय के कारण तीसरा विश्वयुद्ध होगा

गौरक्षकों पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बयान के बाद समूचे देश में पक्ष और विपक्ष इस पर अपनी राय रख रहे हैं। मध्य प्रदेश गौ संवर्धन और पशु पालन बोर्ड के अध्यक्ष स्वामी अखिलेश्वरानंद गिरी ने बयान दिया है कि अब गाय के कारण तीसरा विश्वयुद्ध होगा। उन्होंने पीएम के बयान का भी समर्थन किया है।
गौवंश से बढ़ेगा राजनैतिक कुनबा

गौवंश से बढ़ेगा राजनैतिक कुनबा

बीते दिनों जब पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय तथा पशुपालन, डेयरी एवं मत्स्य पालन विभाग ने दिल्ली में गौ शालाओं पर एक दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन किया तो गौ शालाएं अचानक से खबरों में आ गईं। अब तक गौ शालाओं का संचालन ऐसा काम नहीं था जिस पर चर्चा की जाए। हिंदुत्व, गाय, गंगा के मुद्दे पर हमेशा ही मुखर रहने वाली मौजूदा सरकार ने अब गौ शालाओं पर काम करना शुरू किया है।
केंद्र की छूट के बाद 'जल्लीकट्टू' पर सुप्रीम कोर्ट की रोक

केंद्र की छूट के बाद 'जल्लीकट्टू' पर सुप्रीम कोर्ट की रोक

सुप्रीम कोर्ट ने तमिलनाडु में पोंगल पर्व के दौरान सांडों को काबू में करने वाले खेल 'जल्लीकट्टू' के आयोजन से प्रतिबंध हटाने संबंधी केंद्र सरकार की अधिसूचना पर मंगलवार को रोक लगा दी।
गायें फिर से पशु हो जाना चाहती हैं !

गायें फिर से पशु हो जाना चाहती हैं !

गाय को पवित्र कब से माना गया और क्यों माना गया, यह व्यापक विवाद और विमर्श का विषय है। इस बात पर भी भयंकर मतभेद है कि प्राचीन सभ्यताएं गोमांस को स्वीकृति देती थीं और भारत के आदिकालीन निवासी अपने खान-पान में उसे शामिल करते थे। आर्ष ग्रंथों में आई उन बातों को भी अब कोई नहीं सुनता है कि किसी जमाने में गौमेध यज्ञ भी हुआ करते थे। अब जब गाय को पवित्र मान कर उसे मां का दर्जा दे ही दिया गया है और उसे आस्था की वस्तु बनाकर आलोचना से परे रख दिया गया है तो उस पर बहस की कोई गुंजाईश रही ही कहां है। अब तो ‘वन्दे धेनुमातरम‘ और ‘जय गोमाता‘ कहो, गोकथा कराओ, गोदूध महोत्सव मनाओ, गोशाला चलाओ, गोमंदिर बनाओ, गोकुल धाम निर्मित करो और गोअनुसंधान एवं गोरक्षा के नाम पर तरह-तरह के संगठन और सेनाएं बनाकर जमकर हंगामा मचाओ। आज गाय के नाम पर सब कुछ जायज है क्योंकि गाय हमारी माता है, गाय की रक्षा करना हमारा धर्म है, यह पुण्य का काम है।
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