लेखकों, शिक्षाविदों और कलाकारों का एक समूह आज नरेंद्र मोदी सरकार के समर्थन में सामने आया। इस समूह ने असहिष्णुता के प्रतिरोध को एक सिरचढ़े वर्ग की अपनी घटती अहमियत के खिलाफ एक तरह की नौटंकी बताकर खारिज कर दिया।
कांग्रेस ने नेताजी सुभाष चंद्र बोस से जुड़ी फाइलों को सार्वजनिक करने के लिए केंद्र सरकार द्वारा 23 जनवरी का दिन तय किए जाने की आलोचना करते हुए सरकार से मांग की है कि फाइलों को तत्काल सार्वजनिक किया जाए।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज नेताजी सुभाष चंद्र बोस से जुड़ी गोपनीय फाइलों को सार्वजनिक करने की घोषणा की है। मोदी ने आज दिल्ली में नेताजी के परिजनों से मुलाकात के बाद ट्वीट के जरिये जानकारी दी कि केंद्र सरकार अगले साल 23 जनवरी से नेताजी से संबंघित फाइलों को सार्वजनिक करेगी।
कभी संजीदगी, कभी खिलखिलाहट और कभी आंखों से बहते हुए आंसू। कलाकारों की बांसुरी और उनकी आवाज से अपने नगमों को सुनकर नामचीन गीतकार संतोष आनंद के चेहरे पर कई भाव आ और जा रहे थे। पूरी महफिल उन्हें खुश होते देखकर खुश होती थी और उन्हें गमगीन देखकर रो पडती, लेकिन सबको खुशी इस बात की थी कि ठीक एक साल पहले अपने बेटे और बहू की असामयिक मौत के गम को पीछे छोड़ते हुए वह अपनी जिंदगी में आगे की ओर बढ़े रहे हैं।
केंद्रीय मंत्री एम. वेंकैया नायडू ने आज यहां कहा कि केंद्र अन्य देशों के साथ भारत के संबंधों पर पड़ने वाले असर का अध्ययन करने के बाद ही नेताजी सुभाष चंद्र बोस से जुड़ी फाइलों को सार्वजनिक करने पर कोई निर्णय करेगा।
पश्चिम बंगाल सरकार ने आज नेताजी सुभाष चंद्र बोस से जुड़ी 64 फाइलों को उनके परिवार के सदस्यों की मौजूदगी में सार्वजनिक कर दिया है। इसके साथ ही उनकी मौत को लेकर एक बार फिर बहस छिड़ गई है। कहा जा रहा है कि सार्वजनिक हुई इन फाइलों से नेताजी के सन 1945 के बाद भी जिंदा होने के संकेत मिलते हैं।
पश्चिमी उत्तर प्रदेश का शहर मेरठ और वहां के कम पढ़े-लिखे बेरोजगार लड़के। वैसे ही जैसे खाली दिमाग शैतान का घर टाइप होते हैं। छोटी मोटी छेड़खानी और गुंडागर्दी से ही जिनका काम चलता है एक दिन उस समूह के लड़के अचानक खुद को एक बड़े गैंग के रूप में पाते हैं।
चुनाव आयोग का बिगुल बजने से पहले और चुनाव अभियान चल निकलने के साथ ही आगामी विधानसभा चुनावों ने राष्ट्रीय स्तर पर अपने नतीजे दिखाने शुरू कर दिए। कुछ बानगी: