पहले युद्ध और प्रेम में सबकुछ जायज ठहराया जाता था। अब आर्थिक-व्यापारिक हित शायद सबकुछ जायज कर देते हैं, यहां तक कि युद्ध और प्रेम को भी। बल्कि इनके बारे में यू-टर्न को भी। अच्छा हुआ कि अपने घरेलू जनाधारों में उबाल भरने के लिए दिखावे के जंगी स्वांग में भड़काऊ बयानबाजी के घोड़ों पर सवार भारत और पाकिस्तान की हुकूमतों ने अपनी भड़काऊ बयानबाजी के ऊंचे घोड़ों से उतरकर एक-दूसरे से पहले पेरिस में प्रधानमंत्री के स्तर पर, फिर क्रमश: बैंकॉक और इस्लामाबाद में राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकारों और विदेशी मंत्रियों के जरिये एक-दूसरे से बातचीत शुरू करने के लिए हाथ मिलाया।
दुनिया को जलवायु परिवर्तन के खतरे से बचाने के लिए विश्व के 196 देशों के बीच पेरिस में ऐतिहासिक हो गया है। लंबी खींचतान और विचार-विमर्श के बाद भारत, चीन, अमेरिका समेत छोटे-बड़े तमाम देश इस समझौते पर राजी हुए। इसमें धरती के तापमान में बढ़ोतरी को 2 डिग्री सेल्सियस से काफी नीचे रखने का लक्ष्य रखा गया है।
जलवायु परिवर्तन पर एेतिहासिक समझौते की समय सीमा से दो दिन पहले वार्ताकारों ने एक नया और छोटा मसौदा जारी किया है जिसमें सभी महत्वपूर्ण प्रगतियों और मतभेदों को शामिल किया गया है। हालांकि यह मसौदा भी जटिल मुद्दों पर मतभेदों को दूर करने में नाकाम रहा है।
आज विश्व मानवाधिकार दिवस के मौके पर विश्व खाद्य कार्यक्रम के भारत में कार्यकारी निदेशक डॉ. हमीद नूरू ने कहा कि उत्तर प्रदेश के बुंदेलखंड इलाके में भुखमरी से जूझ रहे लोगों के लिए जल्द कार्यक्रम लॉन्च किए जाएंगे। नूरु का कहना है कि मानवाधिकारों में अहम है कि सारी दुनिया में सभी को भर पेट खाना मिले। फिर वह चाहे किसी भी धर्म, जाति, देश का हो। यहां तक कि वह आतंकवादी हो या न हो, इससे फर्क नहीं पड़ता लेकिन भोजन मिलना उसका मूलभूत अधिकार है। नुरु विश्व मानवाधिकार दिवस के मौके पर इंडिया इंटरनेशनल सेंटर में इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ ह्यूम्न राइट्स की ओर से आयोजित कार्यक्रम में बोल रहे थे।
व्हाइट हाउस ने कहा है कि अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा और भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने फोन पर हुई बातचीत में इस सप्ताह जलवायु परिवर्तन पर एक मजबूत समझौता हासिल करने के लिए अपनी निजी प्रतिबद्धता पर जोर दिया।
पेरिस में आयोजित जलवायु सम्मेलन से इतर भारत ने एक बहुचर्चित ‘सौर गठबंधन' की घोषणा कर दी। ऊर्जा की जरुरतों को पूरा करने के लिए सौर ऊर्जा उप्लब्ध करवाने की दिशा में काम करने का यह बडा न्यौता उन 121 देशों के लिए है, जहां सूर्य का प्रकाश पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध रहता है। इस परियोजना में सरकार की योजना शुरुआती पूंजी के रुप में 400 करोड रुपए डालने की है।
कार्बन उत्सर्जन को धीरे-धीरे खत्म करके जलवायु परिवर्तन का दीर्घकालिक हल ढूंढने की कोशिशें तेज होने के बीच भारत के एक शीर्ष वार्ताकार ने कहा है कि यदि विकसित देश भारत को पर्याप्त तकनीक और वित्तीय मदद उपलब्ध करवाकर स्वच्छ ऊर्जा स्रोतों को अपनाने में इसकी मदद के लिए सहमत होते हैं तो भारत भविष्य में कोयले पर अपनी निर्भरता कम करने के लिए तैयार है।
पेरिस में चल रहे जलवायु सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2030 तक भारत के कार्बन उत्सर्जन स्तर में 2005 के मुकाबले 33-35 फीसदी कटौती का ऐलान किया है। साथ ही उन्होंने जलवायु परिवर्तन से निपटने में किसी तरह की एकतरफा कारवाई से दुनिया आगाह करते हुए विकसित देशों को उनकी जिम्मेदारी याद दिलाई है।