आंध्र प्रदेश के किसानों के लिए एक अच्छी खबर है। प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू बुधवार को गोदावरी नदी का पानी कृष्णा में बहाकर दो नदियों का औपचारिक संगम कराएंगे।
तेलंगाना राष्ट्र समिति (टीआरएस) के संस्थापक सदस्य रहे फरहत इब्राहिम ने तेलंगाना के मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। इब्राहिम ने राव के परिजनों और सरकार में शामिल दो कैबिनेट मंत्रियों पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाकर मुकदमा चलाए जाने की मांग की है।
देश में फांसी की सजा के खिलाफ अभियान चलाने वाले बॉम्बे उच्च न्यायालय के वरिष्ठ अधिवक्ता हैं युग मोहित चौधरी। फांसी के फंदे पर झूलने वाले अभियुक्त के लिए एक अंतिम आस के तौर पर युग चौधरी का नाम आता है।
आजादी के आंदोलन और कांग्रेस की रणनीति और उससे भी बढ़कर पिछड़ा समुदाय की सत्ता से जुडे रहने की चाहत ने उनको कांग्रेस प्रिय बना दिया। जिन्हें कांग्रेस में जाना अच्छा नहीं लगा, वह वामपंथी, समाजवादी पार्टियों से जुड़ने लगे। हर हाल में बिहार में वोट से जाति का रिश्ता जुड़ गया।
डिजिटल इंडिया अभियान के लिए निजी क्षेत्र को लुभाने में जुटी मोदी सरकार को इन्फोसिस के सह संस्थापक एन. आर. नारायण मूर्ति ने आईना दिखाया है। उन्होंने कहा कि एक भी सरकारी योजना ऐसी नहीं, जहां कंपनी को घाटा न हुआ हो।
संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) ने सन 2014 सिविल सर्विसेज परीक्षा के परिणाम घोषित कर दिए है। इस बार प्रावीण्य सूची में शुरुआती पांच में से चार लड़कियां है। इन लड़कियों में – पहले स्थान पर ईरा सिंघल, दूसरे पर रेनु राज, तीसरे पर निधि गुप्ता और चौथे स्थान पर वंदना राव ने कब्जा जमाया है। ईरा और निधि गुप्ता दोनों दिल्ली से हैं और वे दोनों ही भारतीय राजस्व विभाग में कार्यरत हैं।
जैसे चीजें चल रही हैं, भारतीय अनुसंधान परिषद का नाम जल्द ही भारतीय इतिहास गोलमाल परिषद कर देना चाहिए। उदाहरण के तौर पर सबसे पहले पहचान की एक गड़बड़ी को लें। भारत के गजट में अधिसूचित किया गया कि किन्हीं वी.वी हरिदास को भारतीय इतिहास अनुसंधान परिषद का नया सदस्य नियुक्त किया गया है जो ‘कालीकट में इतिहास के प्रोफेसर’ हैं। जब इन हरिदास महाशय ने हिचकते हुए आईसीएचआर फोन करके कहा कि वह इससे बहुत सम्मानित महसूस कर रहे हैं, तब पता चला कि यह वह हरिदास नहीं हैं जिनकी अनुशंसा मंत्रालय ने की थी। इतिहास में पीएचडी वी.वी हरिदास मंगलूर विश्वविद्यालय में पढ़ाते हैं। लेकिन यह तो कोई दूसरे पी.टी हरिदास थे जिन्हें परिषद के लिए मनोनीत किया गया था हालांकि वह पी.एच.डी नहीं थे।
ज्यादातर भारतीय फिल्म निर्देशक ‘पोस्ट इंटरवेल ब्लू’ यानी मध्यांतर के बाद फिल्म को झुला देने की आदत से पीड़ित रहते हैं। तो कुछ हद तक गुड्डू रंगीला के निर्देशक सुभाष कपूर भी इससे बच नहीं पाए हैं। लेकिन यदि खाप पंचायत के सामने लड़कियों की स्थिति पर एक शानदार तकरीर वाले दृश्य पर विचार किया जाए, आखिरी दृश्य में शोले स्टाइल की लड़ाई और इस तरह के दृश्यों को देखें तो लगता है कि भारतीय दर्शकों के लिए भी यह सब जरूरी है। आखिर बुरा आदमी लहूलुहान हो कर पिटे ही न, उससे परेशान दो लड़कियां हीरो स्टाइल में उसे गोली न मारे तो क्या मजा। आखिर यह मजा ही दर्शकों को सिनेमाघर में खींचता है।
पूर्व कोयला राज्य मंत्री दसारी नारायण राव ने मंगलवार को कहा कि कोयला ब्लाकों के आवंटन के बारे में सभी निर्णय तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने किए जो उस समय कोयला मंत्री की जिम्मेदारी भी संभाल रहे थे।
लोकनायक जय प्रकाश नारायण का स्मारक बिहार के लाला का टोला गांव में बनवाने के केंद्रीय मंत्रिपरिषद के फैसले को लेकर विवाद खड़ा हो गया है। लोकनायक के परिजन तथा समर्थकों ने बलिया के जेपी नगर को उनका असल जन्मस्थान बताते हुए केंद्र सरकार के निर्णय को बिहार विधानसभा चुनाव में लाभ लेने के लिए उठाया गया कदम करार दिया है।