चीन ने कहा है कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की स्थायी सदस्यता की मांग के लिए जापान, जर्मनी और ब्राजील के साथ भारत का गठबंधन करना एक बहुत बड़ी गलती है।
राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में डेंगू के बढ़ते मामलों के बीच, नगर निकायों की भूमिका पर सवाल उठाने लगे हैं। लोगों का मानना है कि मच्छर जनित बीमारी से निपटने में स्थानीय नगर निगमों की लचर तैयारियाें की पोल खोल खुल गई है। दिल्ली में डेंगू के कुल मामले 2000 की संख्या को पार कर ग हैं। सितंबर में ही 1200 से ज्यादा मामले सामने आ चुके हैं।
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के विस्तार और सुधारों के मुद्दे पर एक उल्लेखनीय प्रगति हुई है। संयुक्त राष्ट्र महासभा में लिखित दस्तावेजों के आधार पर वार्ता पर सहमति बन गई है जिससे सुरक्षा परिषद में भारत की स्थायी सीट की दावेदारी को बल मिला है।
इस वर्ष का राष्ट्रीय शिक्षक दिवस पूरी तरह एक नए अंदाज में मनाया गया। पहले तो हमने देखा कि किसी भी कक्षा में घुस जाने की ताकत रखने वाले हर महत्वपूर्ण सरकारी शख्स ने 'मैं भी शिक्षक’ का अपना सपना साकार किया। कड़वा सच बताना पड़ेगा कि हमारे अब तक के इस मंत्रिमंडल में सबसे कम पढ़े-लिखे लोग हैं। लेकिन उन्हें पढ़ाना अच्छा लगता है। और वे कभी-कभी पढ़ना भी पसंद करते हैं लेकिन वे अपने पसंदीदा शिक्षक और गुरुओं के गुरू आरएसएस के सिवा किसी और से पढ़ना नहीं चाहते।
मोटापे को लेकर हुए अपनी तरह के सबसे बड़े सर्वे में सामने आया है कि देश की 1.2 अरब की आबादी में से करीब 13 फीसदी लोग मोटापे से पीड़ित हो सकते हैं। यह विडंबना ही है क्योंकि हाल तक देश में कुपोषण एक बड़ी समस्या रहा है लेकिन अब एेसा लगता है कि मोटापा कुपोषण पर हावी होता जा रहा है।
उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी ने देश में मुसलमानों की पहचान और सुरक्षा की समस्याओं के हल के लिए रणनीतियां बनाने की वकालत करते हुए सरकार से इस दिशा में सकारात्मक कार्रवाई करने तथा सबके विकास के लिए नीति बनाने की मांग की थी। अपने भाषण में उपराष्ट्रपति ने नरेंद्र मोदी के नारे सबका साथ सबका विकास की तारीफ की पर इसमें मुसलमानों को भी वाजिब हक के साथ शामिल करने पर जोर दिया था।
'अमिताभ बच्चन की बातों पर न जाएं। गुजरात से जुड़े उनके विज्ञापन झूठे हैं। कुछ दिन बिताओ हमारे गुजरात के देहातों में तो असलियत पता चल जाएगी। किसान आत्महत्या कर रहे हैं। युवक सड़कों पर बेकार घूम रहे हैं। तलाटी तक की नौकरी के लिए लाखों रुपये की घूस देनी पड़ती है। क्या यही है गुजरात का विकास मॉडल ?’
2013 में हुए मुजफ्फरनगर दंगे पर बनी डॉक्यूमेंट्री फिल्म मुजफ्फरनगर बाकी है काफी चर्चा में रही है। यह फिल्म दंगे के दौरान के हालात और वहां के स्थानीय लोगों की भावनाओं का बखूबी इजहार करती है। फिल्म के जरिये उन तत्वों की तरफ इशारा किया गया है जो मुजफ्फरनगर के हालात के जिम्मेदार हैं। यही वजह है कि इस फिल्म का प्रदर्शन कई संगठनों के गले नहीं उतर रहा है। कई बार फिल्म के प्रदर्शन को बलपूर्वक रोकने की कोशिश की गई। ऐसे ही दमनकारी आक्रमणों के प्रतिरोध में फिल्म की टीम और अन्य कई संगठनों ने मिलकर एक ही दिन पूरे देश में फिल्म का प्रदर्शन किया।
केंद्र सरकार ने सर्कुलर निकाल कर जिस तरह से पत्रकारों को सरकारी अधिकारियों से सीधे मिलने में रोक लगाई है, उस पर प्रेस परिषद से बकायदा पत्र लिख, अपनी चिंता का इजहार किया है
मनोज की कविताओं में समाज के विविध रंग दिखाई पड़ते हैं। परिवार के प्रति चिंता या अपनों की देखरेख की चिंता भी मनोज शब्दों में ऐसे बांधते हैं कि हर किसी को वह दुख साझा लगता है। सन 2008 के प्रतिष्ठित भारत भूषण अग्रवाल पुरस्कार के बाद भारतीय भाषा परिषद से तथापि जीवन नाम से काव्य संग्रह। कविताएं लिखने के अलावा अनुवाद के काम में संलग्न रहते हैं।