जनगणना के धर्म से जुड़े आंकड़ें सार्वजनिक होने के बाद प्रवीण तोगड़िया और साक्षी महाराज जैसे हिंदुत्ववादी नेताओं ने आबादी को लेकर मुस्लिमों पर हमले तेज कर दिए हैं।
केंद्र सरकार ने धर्म आधारित जनगणना के आंकड़े जारी कर दिए लेकिन अभी जाति आधारित जनगणना के नतीजे नहीं जारी हुए। जबकि कई राजनीतिक दल जाति आधारित जनगणना के आंकड़े जारी करने की मांग कर रहे हैं।
भारत राष्ट्र के धर्मनिरपेक्ष चरित्र पर केंद्र की मौजूदा सरकार यह कहकर सवाल खड़ी कर रही है कि संविधान की प्रस्तावना से 'धर्मनिरपेक्षता’ और 'समाजवाद’ जैसे शब्दों को हटा देना चाहिए। इस बहस से हालांकि सरकार को मजबूरन अपने कदम पीछे खींचने पड़े लेकिन यह मान लेना एक बड़ी भूल होगी कि यह विवाद ठंडा पड़ चुका है।
अमेरिका की ओर से जारी एक बयान में कहा गया, यह घृणित कार्य एक बार फिर हिंसक चरमपंथ से निपटने के लिए एक साथ काम करने की जरूरत को रेखांकित करता है। हम उन बांग्लादेशियों के साथ खड़े हैं, जो इस घिनौने कृत्य के खिलाफ हैं और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की सुरक्षा के लिए काम करते हैं।
संजीव श्रीवास्तव पेशे से टीवी पत्रकार हैं। उनकी एक पुस्तक - समय, सिनेमा और इतिहास भारत सरकार के प्रकाशन विभाग से प्रकाशित है। संजीव की कविताओं में धर्म, राजनीति और इस सबके बीच पिसती मनुष्यता का ऐसा विवरण है जो किसी को भी सोचने पर मजबूर कर सकता है।
अब योग किसी एक संस्कृति या धर्म का नहीं रहा। यह क्रिसमस की तरह है, जो भी इसे मनाना चाहें उन सब का है। आधुनिक दौर में हमारे सुस्त और गतिहीन जीवन से उबरने का सबसे बेहतर तरीका।
एक नई स्वतंत्र रिपोर्ट में कहा गया है कि श्रीलंका लिट्टे के पराजय के साथ देश में गृह युद्ध खत्म होने के छह साल बाद भी अपने धार्मिक और जातीय मूल के अल्पसंख्यकों के अधिकारों का उल्लंघन कर रहा है।
पूरी दुनिया में भले ही भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू को गुट निरपेक्ष आंदोलन के नेता के तौर पर जानती है लेकिन विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने बांडुंग सम्मेलन की 60वीं सालगिरह के मौके पर नेहरू का नाम लेना तक जरूरी नहीं समझा। विदेश राज्य मंत्री वीके सिंह ने भी नेहरू का जिक्र तक नहीं किया। कांग्रेस मुक्त भारत का नारा देकर सत्ता में आई मोदी सरकार अब अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भी इसी नीति को आगे बढ़ा रही है। भारत सरकार की ओर से वैश्विक मंच पर नेहरू के योगदान को नजरअंदाज करने का यह अनूठा मामला है।
महज बारह साल की एक मुस्लिम लड़की ने मुंबई में भगवत गीता पर आधारित एक प्रतियोगिता जीत कर धर्म के कई ठेकेदारों को आईना दिखाया है। मीरा रोड इलाके के एक स्कूल की छठी कक्षा की छात्रा मरियम आसिफ सिद्दीकी ने प्रतियोगिता में शामिल हुए 4,500 बच्चों के बीच जीत हासिल की।