दिल्ली में मासूमों के साथ दुष्कर्म की घटनाएं बढ़ती जा रही है। पिछले सप्ताह उत्तर पश्चिम दिल्ली में चार साल की लड़की से दुष्कर्म का मामला अभी ठंडा भी नहीं पड़ा था कि दो नाबालिगों के साथ फिर दुष्कर्म का मामला सामने आया है। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने इस घटना के बाद प्रधानमंत्री और उपराज्यपाल पर एक बार फिर निशाना साधा है। केजरीवाल ने कहा कि प्रधानमंत्री और उपराज्यपाल क्या कर रहे हैं।
वर्ष 2006 के मुंबई लोकल ट्रेन धमाकों के मामले में अभियोजन पक्ष ने 8 दोषियों को मृत्युदंड और चार अन्य के लिए आजीवन कारावास की मांग की है। इस मामले में अदालत ने 30 सितंबर तक फैसला सुरक्षित रखा है।
मुंबई लोकल ट्रेनों में विस्फोट कर 188 लोगों की जान लेने वाले 12 लोगों को नौ साल बाद मकोका अदालत ने दोषी ठहराया। फैसला सुनाते हुए मकोका न्यायाधीश यतिन डी शिन्दे ने मामले में 12 आरोपियों को दोषी ठहराते हुए एक अन्य आरोपी अब्दुल वाहिद शेख को बरी कर दिया।
कानून के अनुसार 20 सप्ताह से उपर के गर्भ को गिराने की अनुमति नहीं है। हालांकि शीर्ष अदालत ने 14 वर्षीय लड़की और उसके परिवार को राहत देते हुए 25 हफ्ते का भ्रूण गिराने की अनुमति दे दी।
बलात्कार पीड़ित नाबालिग मां के बच्चे के जन्म लेने के बाद परिवार, समाज या कानून से उसे ऐसी व्यवस्था नहीं मिल पाती, जिसमें बच्चा आवश्यक जरूरी सुविधाओं के साथ पल-बढ़ सके। बल्कि वह सबके लिए एक बोझ सरीखा बन जाता है। अहमदाबाद की बच्ची को कानून से थोड़ा छूट देते हुए 25 सप्ताह के गर्भपात की इजाजत जरूर मिलनी चाहिए थी, और मिली भी। यहीं पर इस तरह के तमाम सवाल कानून के दायरे में रहकर जवाब मांगते हैं।
आज सुबह नागपुर सेंट्रल जेल में फांसी पर लटकाए गए मुंबई बम धमाकों के दोषी याकूब मेमन का कड़ी सुरक्षा के बीच मुंबई में अंतिम संस्कार हुआ। उसके शव को विमान के जरिये नागपुर से मुंबई लाया गया था। शाम करीब सवा पांच बजे याकूब को मरीन लाइंस के बड़े कब्रिस्तान में उसके पिता की कब्र के पास ही दफनाया गया। माहिम में याकूब के घर और जनाजे में काफी तादाद में लोग जमा हुए।
बंबई बम धमाकों के दोषी याकूब मेमन को फांसी से बचाने के लिए कई पार्टी के सांसदों, रिटायर्ड जजों, सामाजिक कार्यकर्ताओं और फिल्म जगत की मशहूर हस्तियों ने राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी को पत्र लिखा है।
शुक्रवार को देश की आर्थिक राजधानी मुंबई की सारी गतिविधियां अचानक से रुक गईं। लगातार 24 घंटे की भारी बारिश और समुद्र में उठे ज्वार ने मुंबई की सड़कों और लोकल ट्रेन की पटरियों में इतना पानी भर दिया कि पूरे शहर में बाढ़ के हालात बन गए। लोकल के पहिये तो तत्काल थम ही गए, सड़कों पर भी गाड़ियां जहां-तहां खड़ी हो गईं। इसके साथ ही यह सवाल एक बार फिर से पूछा जाने लगा कि अगर शहर मानसून की पहली बारिश भी नहीं झेल पाया तो इसके लिए कौन जिम्मेदार है।