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मिथक झुठलाते जनगणना के धार्मिक आंकड़े

मिथक झुठलाते जनगणना के धार्मिक आंकड़े

पिछले साल भारतीय जनता पार्टी केंद्र में सत्ता में क्या आई 1990 के दशक के मजहबी और जातिगत टकराव के गड़े मुर्दे मानो फिर से उखाड़े जाने लगे। एक तरफ जनगणना में धार्मिक समुदायों की जनसंख्या वृद्धि के चुनिंदा आंकड़े पूर्वाग्रह के रंग में रंगकर धीरे-धीरे सामाजिक और मुख्यधारा मीडिया में टपकाए जाने लगे और दूसरी ओर सत्तारूढ़ दल और उसके परिवार के तरह-तरह के गेरुआधारी ‘पूतों फलों’ और ‘घर वापसी’ के भड़काऊ भाषणों के जरिये बहुसंख्यक समुदाय का भयादोहन कर अल्पसंख्यकों के विरुद्ध उन्माद पैदा करने की कोशिश करने लगे। नतीजतन देश में कई जगह अल्प तीव्रता वाले सांप्रदायिक उपद्रव होने लग गए, खासकर उन राज्यों में जहां विपक्ष की सरकारें थीं और आगे चुनाव होने थे।
आजादी विशेष | निजी कानून से निजात की छटपटाहट

आजादी विशेष | निजी कानून से निजात की छटपटाहट

मुसलमान औरत के दिल में आजादी की तड़प की थाह लेने की जब-जब कोशिश की गई है तो भीतर ज्वालामुखी की तपिश को महसूस किया गया। वे भी यह जताने को बेसब्र हैं कि वे भी मुकम्‍मल आजादी की तलबगार हैं। वे नहीं चाहतीं कि उनके शौहर को एक से अधिक निकाह करने का हक हो। वे तलाक-तलाक-तलाक यानी मुंह जबानी तलाक के खिलाफ हैं।
समान सिविल कोड की राजनीति खत्म कर, मुसलमान औरत को इंसाफ दो

समान सिविल कोड की राजनीति खत्म कर, मुसलमान औरत को इंसाफ दो

मौजूदा सरकार बनने से पहले भारतीय जनता पार्टी के चुनावी घोषणापत्र में समान सिविल कोड लाने की बात कही गई। इसके चलते इस कोड का जिक्र बार-बार उठता है। लेकिन समान सिविल कोड को लाने की बात करने वालों के असल इरादे कोई नहीं जानता! भारतीय जनता पार्टी या फिर उनकी सरकार ने कभी स्पष्ट भी नहीं किया कि इस कोड के क्या प्रावधान होंगे, इसमें कौन-कौन सी धाराएं इत्यादि शामिल होंगी, किस धर्म के आधार पर समान सिविल कोड के प्रावधान तय कि ए जाएंगे।
उग्र दक्षिण-वाम चुनौती के बीच झूलता नेपाली संविधान

उग्र दक्षिण-वाम चुनौती के बीच झूलता नेपाली संविधान

नेपाल में चार प्रमुख राजनैतिक दलों नेपाली कांग्रेस, नेपाल की कम्यु‌निस्ट पार्टी (एमाले), नेपाल की एकीकृत कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी) और मधेसी पीपुल्स राइट्स फोरम (डेमोक्रेटिक) के बीच 16 सूत्री समझौते पर सहमति के बाद शुरू हुई संविधान के प्रारूप की प्रक्रिया को दो विपरीत ध्रुवों का आक्रामक विरोध झेलना पड़ रहा है।
मन की व्यथा लिखी है पत्र मेंः  शांता कुमार

मन की व्यथा लिखी है पत्र मेंः शांता कुमार

भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता और हिमाचल प्रदेश से भाजपा सांसद शांता कुमार के फेसबुक पर डाले गए पत्र से भाजपा के अंदर खलबली मच गई है। यह पत्र पार्टी अध्यक्ष अमित शाह को लिखा गया है। पत्र में शांता कुमार ने लिखा, ‘ घोटालों को लेकर खबरों से पार्टी का सिर झुक गया है।’ इस बवाल से संबंधित कुछ पहलुओं पर शांता कुमार ने अपने दिल्ली स्थित निवास पर बातचीत की। हालांकि इस बीच उन्हें शांत करने के लिए केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा समेत पार्टी के अन्य वरिष्ठ नेताओं के फोन आते रहे।
बेचारा नहीं रहा बिहार: नी‍तीश कुमार

बेचारा नहीं रहा बिहार: नी‍तीश कुमार

बिहार की राजनीति में अलग अंदाज में गठजोड़ करने में वह माहिर हैं। पुराने गठजोड़ों को नया रंग देने की कला में वह निपुण हैं। स्थिति के हिसाब से दुश्मनों को दोस्त और पुराने साथियों से अखाड़े में कुश्ती की कला में पारंगत हैं। जब ये लगने लगे कि बिहार उनके हाथ से निकल ही गया तो फिर वह अपनी नई चाल से खेवनहार बनने की दावेदारी पेश करते हैं। जिनको सत्ता से हटाने के लिए उन्होंने अपनी पार्टी की कतारों को लामबंद किया, उन्हीं लालू प्रसाद यादव के साथ आज वह गलबहियां डाल उगता बिहार, नूतन बिहार के नारे के साथ वोट मांगने की तैयारी में हैं।
लोकतंत्र को कुचलने वाली ताकतें मजबूत हुईं: आडवाणी

लोकतंत्र को कुचलने वाली ताकतें मजबूत हुईं: आडवाणी

भारतीय जनता पार्टी के वरिष्‍ठ नेता लालकृष्‍ण आडवाणी ने यह कहकर राजनीतिक तूफान खड़ा कर दिया है कि देश में लोकतंत्र को कुचलने में सक्षम ताकतें मजबूत हुई हैं और दोबारा इमर्जेंसी की आशंका से इंकार नहीं किया जा सकता।
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