नेपाल में चल रहे मधेशी आंदोलन को लेकर राजनीतिक दलों रूख भले ही लचर हो रहा है लेकिन मधेशी नेताओं की मानें तो सरकार पूरी तरह से उनकी मांगों को मानने के लिए तैयार नहीं हैं।
नेपाल में उग्र होते मधेसी आंदोलन के बीच भारत को झटका देने वाली दो खबरें अाई हैं। मिली जानकारी के अनुसार, नेपाल में सभी भारतीय न्यूज चैनलों के प्रसारण पर प्रतिबंध लगा दिया है। जबकि दूसरी तरफ भारत-नेपाल सीमा पर 13 भारतीय सुरक्षाकर्मियों को नेपाल पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया हालांकि इन्हें बाद में रिहा कर दिया गया।
दक्षिणी नेपाल में एक प्रमुख राजमार्ग पर मधेसी प्रदर्शनकारियों की नाकेबंदी को हटाने की कोशिश में सुरक्षाकर्मियों के गोली चलाने से कम से कम 4 व्यक्ति मारे गए और कई घायल हो गए। चार मधेसी पार्टियों को मिलाकर बने मधेसी मोर्चे और सरकार के बीच संविधान संशोधन पर वार्ता असफल रहने के बाद नेपाल में फिर हिंसा भड़क उठी है।
नेपाल ने भारत और अन्य देशों को अपनेे मामलों में हस्तक्षेप नहीं करने की सलाह देते हुए आज स्पष्ट किया कि संविधान का मसौदा तैयार करना उसका अंदरूनी मामला है और वह खुद अपने मुद्दों से निपटने में सक्षम है।
नेपाल में नए संविधान को लेकर चल रहे मधेशियों के विरोध का भारत पूरी तरह से समर्थन करता रहेगा। विदेश मंत्रालय के एक अधिकारी के मुताबिक मधेशियों की मांग को नेपाल सरकार पूरी तरह से खारिज करना चाह रही है जो कि संभव नहीं है।
नेपाल नीति को लेकर भारत को एक बड़ा झटका लगा है। पेट्रोलियम पदार्थों की आपूर्ति के लिए नेपाल ने चीन से हाथ मिला लिया है। इस तरह इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन का चार दशक पुराना एकाधिकार खत्म हो गया है।
नेपाल की संसद ने कम्युनिस्ट नेता विद्या देवी भंडारी को नेपाल की पहली महिला राष्ट्रपति के रूप में चुना है। बीते सितंबर में ही देश की संसद ने नेपाल ने नए संविधान को मंजूरी दी थी।
भारत में नेपाल के राजदूत दीप कुमार उपाध्याय ने दिल्ली में आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान कहा कि भारत-नेपाल के रिश्तों में जो तल्खी आई है उसे एक बुरे सपने की तरह भूल जाना चाहिए। उपाध्याय के मुताबिक दोनों देशों के बीच जिस प्रकार के करीबी रिश्ते हैं उसकी तुलना किसी भी दूसरे देश के साथ नहीं की जा सकती। लेकिन इसके उलट नेपाल में नए संविधान का विरोध कर रहे सोशल रिपब्लिकन पार्टी के अध्यक्ष रामबाबू राय कहते हैं कि रिश्ते खराब करने की शुरूआत किसने की है, इस ओर भी ध्यान दिया जाना चाहिए।
नेपाल की कम्युनिस्ट पार्टी एकीकृत मार्क्सवादी -लेनिनवादी (नेकपा-एमाले) के खडग प्रसाद शर्मा ओली को देश का नया प्रधानमंत्री चुना गया है। तिरेसठ वर्षीय ओली साल 2006 की जनक्रांति के तत्काल बाद बनी गिरिजा प्रसाद कोइराला के नेतृत्व वाली सरकार में उप प्रधानमंत्री और विदेश मंत्री बने थे। संविधान बनने के बाद प्रधानमंत्री ओली के सामने कई चुनौतियां भी हैं। नेपाल में संविधान संशोधन को लेकर मधेशियों का आंदोलन पूरा जोर पकड़ चुका है। नए संविधान की मंजूरी से पैदा ताजा मधेशी संकट और प्रधानमंत्री बनने से कुछ दिन पहले ही आउटलुक के विशेष संवाददाता ने ओली से मुलाकात की थी। कई मुद्दों पर बातचीत हुई। पेश हैं बातचीत के प्रमुख अंश-
एनजीओ भारतीय जैन संगठन (बीजेएस) ने नेपाल में 100 स्वास्थ्य केंद्रों के निर्माण की योजना बनाई थी। लेकिन अब उसने अपना काम बंद कर दिया है क्योंकि वहां के प्रशासन ने कड़ी शर्तों को हटाने से इंकार कर दिया।