गो मांस पर प्रतिबंध के मुद्दे पर केंद्रीय संसदीय कार्य राज्यमंत्री मुख्तार अब्बास ने कहा, 'यदि कोई बीफ का मीट खाए बिना मर रहा है, तो वह पाकिस्तान या अरब देश चला जाए। उनकी इस देश में कोई जगह नहीं है। ‘ उसके बाद से लेकर आज तक नकवी के इस बयान की सोशल मीडिया पर खूब छीछालेदर हो रही है। इसके जवाब में पाकिस्तान से आएशा गज्दर ने फेसबुक पर लिखा- बहुत खूब आ जाओ..आ जाओ सारे।
जहांगीरनगर विश्वविद्यालय के उत्खनन दल को दीनाजपुर जिले के एक गांव में खुदाई के दौरान एक मंदिर का पता चला है। माना जा रहा है कि यह मंदिर आठवी और नवीं सदी के बीच पाल राजवंश के शासकों ने बनवाया था।
केंद्रीय कैबिनेट ने बुधवार को विवादास्पद किशोर न्याय कानून संशोधन विधेयक को मंजूरी दे दी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में बुधवार को हुई केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में यह निर्णय लिया गया। संशोधित विधेयक में यह प्रावधान किया गया है कि किशोर न्याय बोर्ड यह निर्णय करेगा कि बलात्कार जैसे जघन्य अपराधों में शामिल 16 वर्ष से अधिक उम्र के किशोर को सुधार गृह में रखा जाये या उस पर सामान्य अदालत में मुकदमा चलाया जाये। इस बारे में बात किए जाने पर वरिष्ठ अधिवक्ता वृंदा ग्रोवर का कहना है ‘ यह बहुत ही गलत फैसला है। इसके तहत सिर्फ यह देखा जा रहा है कि जेलें कैसे भरी जाएं, यह नहीं देखा जा रहा कि बालसुधार गृहों में क्या सुधार किए जाएं, बच्चों को सामाजिक माहौल कैसा दिया जाए, उनकी मनोविज्ञानिक चिकित्सा के सिलसिले में क्या किया जाए या उन्हें किस प्रकार की वोकेशल ट्रेनिंग दी जाए।’
हमारी सरकार यह कहकर जनता का समर्थन जुटा रही है कि नया किशोर न्याय विधेयक 16 से 18 साल के उन बच्चों के लिए है जो वयस्कों की तरह जघन्य अपराध को अंजाम देते हैं लेकिन इसमें उसी पहलू को नजरअंदाज कर दिया गया है जिसके लिए यह विधेयक बनाने का सुझाव दिया गया था।
मधेपुरा से सांसद राजेश रंजन उर्फ पप्पू यादव को पार्टी विराेधी गतिविधियों के कारण राष्ट्रीय जनता दल ने छह साल के लिए निष्कासित कर दिया है। पार्टी से निकाले जाने को लेकर पप्पू यादव ने आउटलुक से कहा कि वह इस फैसले से निराश नहीं हैं और सामाजिक न्याय की लड़ाई अपने दम पर लड़ते रहेंगे।
करगिल की चोटी से 'ये दिल मांगे मोर’ का नारा देने वाले शहीद कैप्टन विक्रम बत्रा का परिवार आज न्याय के लिए सरकारी तंत्र का चक्कर लगा रहा है। कैप्टन विक्रम बत्रा ने देश की जमीन को बचाने के लिए अपनी जान कुर्बान कर दी लेकिन आज उनका परिवार अपनी ही जमीन पाने के लिए भू-माफिया से जूझ रहा है। कैप्टन विक्रम बत्रा के परिवार के संघर्ष में न तो सरकार का सहयोग मिल रहा है और न प्रशासन का। रोचक तथ्य तो यह है कि राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री से लेकर रक्षामंत्री तक गुहार लगाने वाले इस परिवार की सुध लेने से भी मध्य प्रदेश सरकार गुरेज कर रही है।