सचमुच महान है भारत, हमारी सरकार और समाज। हर साल 10 लाख लोगों की मौत के रिकार्ड पर हम आंसुओं के साथ भाषण दे रहे हैं। बहुत बारीक अक्षरों में पैकेट पर चेतावनी दर्ज कर देते हैं, ताकि खानापूर्ति हो जाए। लेकिन करीब 30 करोड़ लोगों के तंबाकू के उपयोग से उत्पादक, विक्रेता की अंधाधुंध कमाई के साथ सरकार अपने खजाने में अच्छा-खासा टैक्स भर लेती है।
दुनिया के शीर्ष देशों में गिने जाने वाले भारत की राजधानी अपने ही कर्मों से शापग्रस्त लग रही है। संस्कृति और संपन्नता के उल्लास में करोड़ों रुपयों की आतिशबाजी और सफल पड़ोसी कृषि राज्यों में खेतों की सफाई के लिए लगाई जा रही आग के धुएं से लाखों दिल्लीवासी सांस में जहरीली हवा ग्रहण कर रहे हैं।
उत्तरी दिल्ली के नया बाजार इलाके में हुई विस्फोट की घटना में पुलिस ने किसी आतंकी पहलू की आशंका से इनकार किया है। सोमवार को पटाखों में हुए धमाके में एक व्यक्ति की मौत हो गई और चार अन्य घायल हो गए।
भारत ने पर्यावरण संरक्षण की अंतरराष्ट्रीय संधि के लिए अपनी स्वीकृति दे दी। निश्चित रूप से भारत में हजारों वर्षों से प्रकृति की देन वन, जल, वायु के प्रति गहरा सम्मान रहा है और उनसे जुड़े देवताओं के नाम लेकर पेड़-पौधे, नदी, पवन की धार्मिक दृष्टि से पूजा-अर्चना होती रही है। लेकिन सरकार और समाज घातक वायु प्रदूषण के लिए जिम्मेदार आतिशबाजी के बढ़ते उपयोग को निरंतर अनदेखा कर रहे हैं।
बिहार चुनाव को सांप्रदायिक रंग देने की कोशिश में जुटी भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष अमित शाह के एक बयान पर खास विवाद खड़ा हो गया है। पूर्वी चंपरण के रक्सौल में चुनावी रैली को संबोधित करते हुए अमित शाह ने कहा कि अगर भाजपा किसी वजह से बिहार चुनाव हार जाती है तो हार-जीत तो पटना में होगी लेकिन पटाखे पाकिस्तान में छोड़े जाएंगे। शाह के इस बयान को बिहार चुनाव में भाजपा की हताशा के तौर पर भी देखा जा रहा है।