हाल ही में पर्यावरण की सुरक्षा को लेकर एक ऐसे व्यक्ति का मामला सामने आया है,जिसने करीब 28 सालों में 38 हजार पेड़ लगा डाले हैं। तमिलनाडु निवासी और पर्यावरण प्रेमी योगनाथन के इस तरह के सराहनीय कार्य के बाद अब उनका नाम कक्षा 5वीं की किताब में शामिल किया जाएगा।
केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्री अनिल माधव दवे का गुरुवार को दिल्ली के एम्स में दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया। वह कुछ समय से बीमार चल रहे थे। मध्य प्रदेश के रहने वाले दवे 60 वर्ष के थे। संघ से जुड़े दवे को पिछले मंत्रिमंडल विस्तार में पीएम नरेंद्र मोदी ने अपनी कैबिनेट में जगह दी थी।
केद्रीय वन और पर्यावरण मंत्रालय का अतिरिक्त प्रभार विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्री डॉ हर्षवर्धन को सौंपा गया है। वन व पर्यावरण मंत्री अनिल माधव दवे का अचानक निधन होने के कारण यह व्यवस्था की गई है।
अनिल माधव दवे, एक शौकिया पायलट, लेखक, पर्यावरणविद, नदी संरक्षणवादी, एक सांसद, पर्यावरण मंत्री और विभिन्न भूमिकाओं के लिए पहचाने जाते रहे हैं। संघ से ताल्लुक रखने वाले अनिल दवे को एक प्रखर प्रवक्ता के तौर पर जाना जाता था। पर्यावरणविद अनिल माधव दवे का जन्म मध्य प्रदेश के उज्जैन जिले के बड़नगर गांव में 6 जुलाई 1956 को हुआ था।
देश के कुछ प्रमुख किसान संगठनों ने जीएम सरसों की वाणिज्यिक खेती की सिफारिश किए जाने पर विरोध जताया है। जीईएसी द्वारा जीएम सरसों को अनुमती मिलने के बाद किसान संगठनों ने पर्यावरण मंत्रालय से इसको मंजूरी नहीं देने की मांग की है।
स्वराज इंडिया ऐसी पहली पार्टी है जिसने पर्यावरण के मुद्दे को केंद्रीय मुद्दा बनाया है। आज तक किसी पार्टी ने इसे अपने घोषणा पत्र में शामिल नहीं किया है। अब पार्टी दिल्ली के स्वास्थ्य निर्माण की दिशा में कदम उठाएगी।
मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी की वरिष्ठ नेता वृंदा करात ने पर्यावरण और वन मंत्रालय द्वारा जारी किए गए आदेश को गलत बताया है। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिख कर कहा है कि इस आदेश को जल्द वापस लिया जाए क्योंकि यह आदेश आदिवासियों के हक में नहीं है।