शहर के कुछ विशेष रूप से सक्षम लोग अड़चनों को पार करके हाथी के मल से पारिस्थितिकी के लिहाज से अनुकूल कागज बनाकर कमाई कर रहे हैं और इस कागज की अच्छी मांग है खासतौर पर विदेशी पर्यटकों के बीच।
पौधे भी विभिन्न घटनाओं के बीच के तार जोड़कर अपने पर्यावरण के बारे में चीजें सीख सकते हैं। अब तक माना जाता था कि यह क्षमता सिर्फ प्राणियों में ही होती है लेकिन एक नए अध्ययन में पहली बार पौधों के इस खास गुण के बारे में बताया गया है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दिमाग की उपज इंटरनेशनल सोलर अलायंस (इसा) की प्रक्रिया शुरू होने के साथ ही इसके प्रारूप समझौते पर ब्राजील और फ्रांस सहित दुनिया के 20 से अधिक देशों ने हस्ताक्षर कर दिया है।
इस समय धानकटाई का समय चल रहा है। हालांकि किसान पराली जला तो नहीं सकते हैं लेकिन पंजाब और हरियाणा में जला रहे हैं। पराली जलाने से प्रदूषण होता है, जिससे निकली जहरीली गैस पर्यावरण के साथ-साथ लोगों को भी नुकसान पहुंचाती है। सबसे अहम बात यह है कि इससे हवा में धुंए के बादल बन जाते हैं जो अस्थमा के मरीजों के लिए जानलेवा साबित होते हैं। दिल्ली की हवा में इन दिनों पसरा धुंआ दिवाली के पटाखों और पराली जलाने के परिणाम है।
पर्यावरण वन तथा जलवायु परिवर्तन राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) अनिल माधव दवे ने कहा है कि जंगल का जीवंत अस्तित्व है और जंगल अपनी अभिव्यक्ति करता है बशर्ते हममें सुनने की क्षमता हो। तीन महत्वपूर्ण घटक- वन, जनजातीय वनवासी और वन्य जीव एक-दूसरे के पूरक हैं और प्रतिद्वन्द्वीं नहीं है। उन्होंने कहा कि वनों में बड़ी संख्या में पेडों को वनवासियों द्वारा नहीं गिराया जा रहा।
भारत द्वारा पेरिस जलवायु संधि पर दस्तखत के चंद दिनों बाद शुक्रवार को केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा कि वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) व्यवस्था में पर्यावरण की लिहाज से प्रतिकूल उत्पादों पर अन्य उत्पादों के मुकाबले अलग तरह का कर लगाया जाएगा। ऐसा कर जलवायु परिवर्तन से बचाव आदि से जुड़े कामों के लिए अधिक कोष जुटाया जाएगा।
भारत ने पर्यावरण संरक्षण की अंतरराष्ट्रीय संधि के लिए अपनी स्वीकृति दे दी। निश्चित रूप से भारत में हजारों वर्षों से प्रकृति की देन वन, जल, वायु के प्रति गहरा सम्मान रहा है और उनसे जुड़े देवताओं के नाम लेकर पेड़-पौधे, नदी, पवन की धार्मिक दृष्टि से पूजा-अर्चना होती रही है। लेकिन सरकार और समाज घातक वायु प्रदूषण के लिए जिम्मेदार आतिशबाजी के बढ़ते उपयोग को निरंतर अनदेखा कर रहे हैं।
भारत आने वाले दिनों में पानी की गंभीर समस्या का सामना करने के कगार पर है। देश में इस समय पानी की उपलब्धता का जो हाल है उस पर केंद्रीय जल ससाधन मंत्री उमा भारती का कहना है कि भारत दुनिया के पानी की कमी वाले देशों में शुमार होने के बिल्कुल करीब है।
केंद्रीय पर्यावरण मंत्री अनिल माधव दवे का मानना है कि पर्यावरण भारत के जनमानस में है। बस जरूरत है तो इसके प्रति थोड़ी सी चेतना लाने की। किसी भी प्रयोग को करने से डरना नहीं चाहिए और नई बातों के लिए दिमाग खुला रखना चाहिए।
चीन में एक केन में रखकर ले जाए जा रहे रेडियोधर्मी आइसोटेप्स के गायब हो जाने से हलचल मच गई है। जिस केन में रेडियोधर्मी आइसोटोप्स रखे थे उसकी खोज के लिए सघन तलाशी अभियान चलाया जा रहा है। विशेषज्ञों का कहना है कि संपर्क में आने पर यह आइसोटोप मानव स्वास्थ्य के लिए खतरनाक साबित हो सकता है।